मैं रोज़ तेरे दर आता हूँ, कभी मेरे मन मंदिर में समाया करो.....
मैं तेरे दर का जोगी हूँ, हुआ तेरे बिना वियोगी हूँ.....
तेरी याद में आँसू बहते हैं, इतना न मुझे तडपाया करो..
मैं रोज़ तेरे दर आता हूँ, कभी मेरे मन मंदिर में समाया करो.....
आते क्यों मेरे नजदीक नहीं, इतना तो सताना ठीक नहीं....
मैं दिल से तुमको चाहता हूँ, कभी तुम भी मुझे अपनाया करो...
मैं रोज़ तेरे दर आता हूँ, कभी मेरे मन मंदिर में समाया करो.....
में दीन हूँ दीनानाथ हो तुम, सुख-दुःख में सबके साथ हो तुम......
मिलने की चाह तो रोज़ करू, कभी तुमभी मिल मिलाया करो...
मैं रोज़ तेरे दर आता हूँ, कभी मेरे मन मंदिर में समाया करो.....
मंदिर में रहते हो मदन-मोहन, कभी बाहर भी आया जाया करो....
मैं रोज़ तेरे दर आता हूँ, कभी मेरे मन मंदिर में समाया करो.....
श्री मदन मोहन गोपाल नन्दलाल मोहे रखियो अपने शरनन में...
मन रखियो अपने चरनन में, तन रखियो श्री वृन्दावन में....
श्री मदन मोहन गोपाल नन्दलाल मोहे रखियोअपने शरनन में....
!! जय जय श्री मदन मोहन जी !!
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