!! ॐ !!


Monday, October 3, 2011

!! तेरे दर पे आ के, मेरी आँख रोई... !!






हे प्रिय श्यामसुन्दर... हे दीनबंधु... हे करुणासिन्धु...



कलाई पकड़ ले, पकड़ता ना कोई...
कलाई पकड़ ले, पकड़ता ना कोई...
तेरे दर पे आ के, मेरी आँख रोई...
तेरे दर पे आ के, मेरी आँख रोई...
मेरी आँख रोई...



जिनको भी दिल के दुखड़े सुनाये...
वही मेरे अपने, हुए सब पराये...
तेरी आशिकी में, मैंने माला पिरोई...
मैंने माला पिरोई...



कलाई पकड़ ले, पकड़ता ना कोई...
तेरे दर पे आ के, मेरी आँख रोई...
मेरी आँख रोई...



बड़ी है मुसीबत, बताया ना जाये...
अब बोझ दुःख का, उठाया ना जाये...
गमे आँसुओ से, तेरी चौखट भिगोई...
तेरी चौखट भिजोई...



कलाई पकड़ ले, पकड़ता ना कोई...
तेरे दर पे आ के, मेरी आँख रोई...
मेरी आँख रोई...



अगर है दयालु, दया अब दिखा दे...
तेरी हर्ष की रोती, आँखे हँसा दे...
तेरी भक्त की रोती, आँखे हँसा दे...
सिवा तेरे दुनिया में, दूजा ना कोई...
दूजा ना कोई...



कलाई पकड़ ले, पकड़ता ना कोई...
कलाई पकड़ ले, पकड़ता ना कोई...
तेरे दर पे आ के, मेरी आँख रोई...
तेरे दर पे आ के, मेरी आँख रोई...
मेरी आँख रोई...



!! जय जय प्यारे श्यामसुन्दर जी की !!
!! जय जय प्यारे श्यामसुन्दर जी की !!
!! जय जय प्यारे श्यामसुन्दर जी की !!
 
 
 
भजन : "श्री बिनोद अग्रवाल जी"

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