!! ॐ !!


Wednesday, October 27, 2010

!! जीवन की हर शाम, मय श्याम बन जाये...!!


           
  आज मेरे श्याम सांवरे से केवल एक यह अरदास है कि...


जीवन की हर शाम, मय श्याम बन जाये...
गाऊँ जहाँ भजन मै, हरिधाम बन जाये...
जीवन की हर शाम, मय श्याम बन जाये...
गाऊँ जहाँ भजन मै, हरिधाम बन जाये...


रहे दया जो तेरी, मुझपे ओ सांवरा...
झुमुं, नाचूँ, गाऊँ, मै होके बावरा...
बावरे का सांवरा, हर काम बन जाये...
गाऊँ जहाँ भजन मै, हरिधाम बन जाये...


जीवन की हर शाम, मय श्याम बन जाये...
गाऊँ जहाँ भजन मै, हरिधाम बन जाये...


मस्ती का हो आलम, भक्तों का जमघटा...
लगे जहाँ दरबार तेरा, हो तेरी छटा...
देखूँ तुझको सांवरा, रंग तेरा चढ़ जाये...
गाऊँ जहाँ भजन मै, हरिधाम बन जाये...


जीवन की हर शाम, मय श्याम बन जाये...
गाऊँ जहाँ भजन मै, हरिधाम बन जाये...


रंग तेरा बिखराऊँ, भक्तों में सांवरा...
हो जाये मगन सभी, जो लगन ऐसी लगा...
'टीकम' भी ओ सांवरा, हरिदास बन जाये...
गाऊँ जहाँ भजन मै, हरिधाम बन जाये...


जीवन की हर शाम, मय श्याम बन जाये...
गाऊँ जहाँ भजन मै, हरिधाम बन जाये...



                !! जय हो मेरे सांवरे श्याम की !!




             भाव के रचियता : "श्री महाबीर सराफ जी"

Saturday, October 23, 2010

!! श्याम मेरे ओ सजन, रहे मुझे तेरी लगन... !!


मेरे इष्टदेव श्री श्याम के श्री चरणों में एक प्रार्थना है कि...



श्याम मेरे ओ सजन, रखना मुझको तू मगन...
और क्या माँगू श्याम, और क्या माँगू श्याम...
श्याम मेरे ओ सजन, रहे मुझे तेरी लगन...
और क्या माँगू श्याम, और क्या माँगू श्याम...


करूँ मैं पूजा सेवा तेरी, करूँ मै तेरी बन्दगी...
प्राण जबतक ये चले साँसे, रहे मेरी यह जिन्दगी...
विचलित न हो कभी यह मन, रहे ध्यान तेरा श्याम....
रहे ध्यान तेरा श्याम...


श्याम मेरे ओ सजन, रहे मुझे तेरी लगन...
और क्या माँगू श्याम, और क्या माँगू श्याम...


नभ मे हो विपदा के बादल, हो घटा कोई साँवली...
हो अगर कोई रात काली, बन के आना चाँदनी...
दूध सा चमके बदन, नभ मे छाना श्याम....
नभ मे छाना श्याम...


श्याम मेरे ओ सजन, रहे मुझे तेरी लगन...
और क्या माँगू श्याम, और क्या माँगू श्याम...


दर्दे दिल की है दवा, मरहम है तू हर घाव की...
हो सुर या नासुर कोई, चाल हो हर दाव की...
'टिकम' का मन है तू वदन, हमदम बनो मेरे श्याम...
हमदम बनो मेरे श्याम...


श्याम मेरे ओ सजन, रहे मुझे तेरी लगन...
और क्या माँगू श्याम, और क्या माँगू श्याम...


              !! खाटू वाले बाबा, जय श्री श्याम !!
              !! जय मोरवीनंदन जय श्री श्याम !!




                         भाव के रचियता : " श्री महाबीर सराफ जी "

Friday, October 15, 2010

!! जगदम्बे भवानी मैया, तेरा त्रिभुवन में छाया राज है...!!



आप सभी भक्तवृंदो को नवरात्री के इस पावन पुनित त्यौहार की बहुत बहुत शुभकामनाये... आदि शक्ति माँ जगदम्बा भवानी आप सभी पर अपनी असीम कृपा बनाये रखे, ऐसी मेरी कामना है... आइये सब मिल माता जगदम्ब भवानी  की भावपूर्ण स्तुति करे...




जगदम्बे भवानी मैया, तेरा त्रिभुवन में छाया राज है...
सोहे वेष कसूमल नीको, तेरे रत्नों का सिर पे ताज है...


जब जब भीड़ पड़ी भक्तन पर, तब तब आये सहाय करे...
उधम उद्धारण तारण मैया, युग युग रूप अनेक धरे...
सिद्ध करती तू भक्तो के काज है, नाम तेरो गरीब नवाज़ है...
सोहे वेष कसूमल नीको, तेरे रत्नों का सिर पे ताज है...


जल पर थल और थल पर सृष्टि, अद्भुत तेरी माया है...
सुर नर मुनि जन ध्यान धरे नित, पार नहीं कोई पाया है...
तेरे हाथो में सेवक की लाज है, लियो शरण तिहारो मैया आज है...
सोहे वेष कसूमल नीको, तेरे रत्नों का सिर पे ताज है...


जगदम्बे भवानी मैया, तेरा त्रिभुवन में छाया राज है...
सोहे वेष कसूमल नीको, तेरे रत्नों का सिर पे ताज है...


                         !! जय माता दी !!

Monday, October 11, 2010

!! चंद्रपरी से देखो लागे ह खड़ी, म्हारी राधारानी जी... !!


आज इस अनुपम छवि को देख मेरे मन में यह बहुत पुराना सुना हुआ यह भाव सहसा ही उद्धृत हुआ है, जो की राजस्थानी भाषा में है... आइये हम सब इस सुन्दर दृश्य के  साथ इस सुन्दर भाव का रसास्वादन करे...


आज श्री राधारानी जी बहुत ही सुन्दर श्रृंगार करके पानी लेने यमुना तट  पे जाने के लिए तैयार होती है... उनके आलौकिक श्रृंगार को देख ऐसा लगता है.., कि साक्षात कोई चंद्रलोक की परी धरा पे खड़ी है, जिनके सुनहरी चुनर में मोतियों की लड़ी लगी चम चम  चमक रही है... श्री राधा रानी ने गले में नौलखा हार, हाथो में रतन जडित चूड़िया धारण कर रखी है, माथे की बिंदी को देखने से ऐसा प्रतीत होता है, कि क्षितिज में सूरज उदय हो रहा हो, जिनके कमर की करधनी यह भरम पैदा करती हो जैसी कोई पर्वतमाला हो...


ऐसे अनुपम श्रृंगार में सज धज के जब श्री राधा रानी जब यमुना तट  पे, हाथो में सोने के कलश लिये जाती है... तो रास्ते में एक  निकुंज में  उन्हें श्री श्यामसुन्दर जी मिल जाते है, जिन्हें देख वे शरमाती हुई, चंचल चितवन को घूँघट की ओट में लेकर मुड़ मुड़ के, श्री श्यामसुन्दर को निरख निरख कर प्रसन्न होती है...




चंद्रपरी से देखो लागे ह खड़ी, म्हारी राधारानी जी...
सोनलिया चुनर म चिमके मोती री लड़ी, म्हारी राधारानी की...


गल बिच सोहे जी, नवलख हारियो...
चुडलो रतन जड़ाव, मनरो मोहे जी...
माथे प बिंदली जी, ज्यूँ सूरज उगियो...
कमर कलोले री लूम मन भरमावे जी...


रुणझुण, रुणझुण बाजे पायलरी, म्हारी राधारानी की...
सोनलिया चुनर म चिमके मोती री लड़ी, म्हारी राधारानी की...


सज धज चाली जी, राधारानी पाणीरे...
सोने रो कलशो हाथ, घणो सुहावे जी...
रस्ते म मिल गया जी, श्यामसुन्दर जी लाड़ला...
घूँघटईये री ओट, राधा जी शरमावे जी...


निरख निरख खिले मन री कली, म्हारी राधा रानी की...
सोनलिया चुनर म चिमके मोती री लड़ी, म्हारी राधारानी की...


चंद्रपरी से देखो लागे ह खड़ी, म्हारी राधारानी जी...
सोनलिया चुनर म चिमके मोती री लड़ी, म्हारी राधारानी की...



               !! जय जय श्री राधा श्यामसुन्दर जी !!

Sunday, October 10, 2010

!! सिया राम तुम्हारे चरणों में, यदि प्यार किसी का हो जाये... !!




मर्यादा पुरषोतम श्री रामचंद्र एवं श्री भगवती सीता के श्री चरणों में बारम्बार प्रणाम हैं...


सिया राम तुम्हारे चरणों में, यदि प्यार किसी का हो जाये...
दो-चार ही की तो बात ही क्या, संसार उसी का हो जाये...
सिया राम तुम्हारे चरणों में, यदि प्यार किसी का हो जाये...
दो-चार ही की तो बात ही क्या, संसार उसी का हो जाये...


सबरी ने कहाँ पर वेद पढ़े, अहिल्या कब यज्ञ रचाई थी...
जिसके मन छल और द्वेष नहीं, भगवान उसी का हो जाये...
सिया राम तुम्हारे चरणों में, यदि प्यार किसी का हो जाये...
दो-चार ही की तो बात ही क्या, संसार उसी का हो जाये...


रावण ने राम से बैर किया, अब तक पापी कहलाता हैं...
बन भक्त विभीषण शरण गया, घर बार उसी का हो जाये...
सिया राम तुम्हारे चरणों में, यदि प्यार किसी का हो जाये...
दो-चार ही की तो बात ही क्या, संसार उसी का हो जाये...


प्रहलाद तो छोटा बालक था, पर प्रेम किया परमेश्वर से...
जीना उसका सार्थक है जो, एक बार प्रभु का हो जाये...
सिया राम तुम्हारे चरणों में, यदि प्यार किसी का हो जाये...
दो-चार ही की तो बात ही क्या, संसार उसी का हो जाये...


दुनिया के दीवानों शिक्षा लो, उस प्रेम दीवानी मीरा से...
जो प्रेम करे सिया रघुवर से, बेड़ा पार उसी का हो जाये...
सिया राम तुम्हारे चरणों में, यदि प्यार किसी का हो जाये...
दो-चार ही की तो बात ही क्या, संसार उसी का हो जाये...


सिया राम तुम्हारे चरणों में, यदि प्यार किसी का हो जाये...
दो-चार ही की तो बात ही क्या, संसार उसी का हो जाये...



             !! जय जय श्री सीता राम जी !! 
               !! जय जय श्री हनुमान जी !!

Saturday, October 9, 2010

!! राधे ने पायल बजाई, कि दोड़े चले आये कन्हाई...!!



वृंदावन के यमुना तट के निकुंजो में अक्सर श्री श्यामसुन्दर अपनी मुरली की धुन से समस्त सखियों सहित श्री राधेरानी का आहवाहन करते थे, साँवरिये की मुरली की मधुर धुन सुन समस्त सखियों सहित राधे रानी आनायास ही श्यामसुन्दर के समीप खीची चली आती थी.... परन्तु आज उन निकुंजो में श्यामसुन्दर नहीं है... पूर्णिमा की रात्रि में श्री यमुना का शीतल जल शांतचित्त हो प्रवाहित हो रहा है.... शुक और सरी दोनों ही कदम्ब की डारी पे बैठे है और श्री राधे रानी अकेली खड़ी श्री श्यामसुन्दर की प्रतीक्षा कर रही है, लेकिन साँवरिया श्यामसुन्दर न आये...


काफी समय प्रतीक्षा करने के बाद श्री राधे रानी ने सोचा, आज तो अपने साँवरिये को मुझे स्वयं बुलाना पड़ेगा, सो उन्होंने अपने श्री चरणों में बंधी पायल को धरती से बार बार स्पर्श कराते हुए बजाई, और जैसे ही श्री श्यामसुन्दर के कर्णो में श्री राधे रानी के पायल के मधुर ध्वनि त्वरित हुई, वे अपने आप को रोक न सके और दोड़े चले आये, अपनी प्रिया राधेरानी के पास... और उसके बाद क्या हुआ, वो आप लोग स्वयं अनुभव करे...




राधे ने पायल बजाई, कि दोड़े चले आये कन्हाई...
आये कन्हाई, देखो दोड़े आये कन्हाई...
राधे ने पायल बजाई, कि दोड़े चले आये कन्हाई...
आये कन्हाई, दोड़े आये कन्हाई...


राधे का समझे, कान्हा इशारा...
पायल के घुंघरू ने, उसको पुकारा...
उसको पुकारा, देखो उसको पुकारा...
राधे ने चूड़ी खनकाई, कि दोड़े चले आये कन्हाई...


राधे ने पायल बजाई, कि दोड़े चले आये कन्हाई...
आये कन्हाई, दोड़े आये कन्हाई...


कान्हा की मुरली पे, पायलिया बाजे...
पायलिया बाजे तो, साँवरिया नाचे...
साँवरिया नाचे, मेरा साँवरिया नाचे...
राधे ने चुनरी लहराई, कि दोड़े चले आये कन्हाई...


राधे ने पायल बजाई, कि दोड़े चले आये कन्हाई...
आये कन्हाई, दोड़े आये कन्हाई...


राधे का बन गया, श्याम दीवाना...
शमा है राधे तो, श्याम परवाना...
श्याम परवाना, मेरा श्याम परवाना...
राधे ने चुटकी बजाई, कि दोड़े चले आये कन्हाई...


राधे ने पायल बजाई, कि दोड़े चले आये कन्हाई...
आये कन्हाई, दोड़े आये कन्हाई...
राधे ने पायल बजाई, कि दोड़े चले आये कन्हाई...
आये कन्हाई, दोड़े आये कन्हाई...


 
             !! जय जय श्री राधा श्यामसुन्दर जी !!

Friday, October 8, 2010

!! छम छम करतो बेगो आ, श्यामधणी न सागे ला...!!



श्री मोरवीनंदन श्याम बिहारी की असवारी लीला घोड़ा है... और ऐसा सभी जानते है, कि वो तो बाबा को परम प्रिय है, और सदा उनके पास रहता है...उस लीले घोड़े पे असवार होकर ही श्यामधणी अपने भक्तो के पास आते है... तो आइये चलिए, आज हम सब अरज लीला घोड़े से करते है, कि वो बाबा को बेगा सा अपने भक्तो से मिलवाए...




लीला रे म्हाने श्याम सूं मिला दे, लीला रे म्हाने श्याम सूं मिला दे...
छम छम करतो बेगो आ, श्यामधणी न सागे ला...
छम छम करतो बेगो आ, श्यामधणी न सागे ला...


तू तो ह बाबा की सवारी, तेरे बिन हाले न बिहारी...
ओ अरजी म्हारी लेतो जा, श्यामधणी न सागे ला...
छम छम करतो बेगो आ, श्यामधणी न सागे ला...


साँवरिये ने अरज सुना दे, तू भी थोरो जोर लगा दे...
आंखरलयारी री प्यास बुझा, श्यामधणी न सागे ला...
छम छम करतो बेगो आ, श्यामधणी न सागे ला...


तू सेवक बाबा को प्यारो, तेरे बस में श्याम हमारो...
सेवकिया री लाज निभा, श्यामधणी न सागे ला...
छम छम करतो बेगो आ, श्यामधणी न सागे ला...


आशा मन में तेरी भारी, कद आशी महरो श्याम बिहारी...
"नंदू" वादों करतो जा, श्यामधणी न बेगो ला...
छम छम करतो बेगो आ, श्यामधणी न सागे ला...


लीला रे म्हाने श्याम सुन मिला दे, लीला रे म्हाने श्याम सुन मिला दे...
छम छम करतो बेगो आ, श्यामधणी न सागे ला...
छम छम करतो बेगो आ, श्यामधणी न सागे ला... 


                    !! खाटू नरेश के जय !!
                  !! शीश के दानी की जय !!
      !! मोरवी नंदन श्री श्यामबिहारी की जय !!




 
                                 भाव के रचियता : "श्री नंदू जी"

!! आज सांवरिया न देखो काई बात जी...!!



आहा!! आज तो सांवरिया का श्रृंगार कितना आलौकिक रूप सुं चमक दमक रहयो ह... आज सांवरिया न देखो तो सही काई बात ह...


रूप चंदा जईया चमके, तेज़ सूरज जईया दमके...
आज सांवरिया न देखो काई बात जी...


मुखड़ो भोर सुहानी लागे, नयना दोपहरी सा जागे...
केश जईया मस्तानी आई रात जी...
आज सांवरिया न देखो काई बात जी...


चुन चुन फुलरा हार बनायो, बागा प गोटा किनारी...
भांति भांति का इत्र लगाया, महके दुनिया सारी...
ओ स्वर्ण मुकुट धारयो माथा पे...
थोडी पर जो हीरो चमके, झलक रहयो है जमके...


रूप चंदा जईया चमके, तेज़ सूरज जईया दमके...
आज सांवरिया न देखो काई बात जी...


गल वैजयंती माल सोहे, कमर पे करधनी प्यारी...
काना में थारे कुंडल सोहे, अद्भुत छवि न्यारी...
ओ बंशी सजी है थारे अधरा पे...
एक बार थे बंशी बजाओ, पग पग घुंघरू चमके...


रूप चंदा जईया चमके, तेज़ सूरज जईया दमके...
आज सांवरिया न देखो काई बात जी...


बुरी नज़र न लागे कोई, राई नून तो उवारो...
सज धज बैठ्यो बनरो सो यो, सबने लागे प्यारो...
ओ मंद हँसी म्हारो मन मोहे...
हाथ राखो थारे भागता के सिर पे, चरणा में रह रमके...


रूप चंदा जईया चमके, तेज़ सूरज जईया दमके...
आज सांवरिया न देखो काई बात जी...



          !! जय जय श्री सांवरिया श्यामसुन्दर !!

Tuesday, October 5, 2010

!! मोहन का मेल करा दे, प्रेम कटोरी से...!!




आज हमारे छोटे से श्यामसुन्दर, अपनी मैया के पास एक विशेष अनुरोध लेकर आये है... मैया यशोदा प्रफुल्लित मन से कान्हा के लिए माखन निकालने में मग्न है और सहसा कान्हा का आगमन उनके मन को और भी प्रफुल्लित कर देता है... छोटे से श्यामसुन्दर ने, मैया के पास आकर अपनी छोटी छोटी बैया को मैया के गले में प्रेमपूर्ण भाव से डाल दी और गंभीरता पूर्वक अपने दिल की बात को अपनी मैया को इस प्रकार कहते है... 




"मेरी प्यारी मैया, तू मेरी बात जरा ध्यान से सुन..."

कान्हा के नैन लड़े है, राधिका गोरी से...
कान्हा के नैन लड़े है, राधिका गोरी से...
मैया मेरो ब्याह करवा दे, बृज की छोरी से...
मैया मेरो ब्याह करवा दे, बृज की छोरी से...




"ओ मेरी मैया, तुझे पता भी है, कि..."

सपनो में रोज़ वो आये, मुझे सारी रात जगाये...
अपने घर से ला ला कर, मुझे माखन रोज़ खिलाये...
मैं बंध गया धीरे धीरे, प्रीत की डोरी से...
मैया मेरो ब्याह करवा दे, बृज की छोरी से...





"क्या करू मेरी मैया..."

वो दिखती है बड़ी भोली, कहती है खेलेंगे होली...
फागुन में लेके आना, तुम मस्तानो की टोली...
गया चैन जबसे लड़े है नैन, चाँद चकोरी से...
मैया मेरो ब्याह करवा दे, बृज की छोरी से...




"और मैं तुझे क्या कहूँ मेरी मैया..."

मुझको बड़ी प्यारी लागे, दुनिया से न्यारी लागे...
मुझे शरम बहुत आती है, और क्या बतलाऊं आगे...
मैं तंग आया हूँ, उसकी जोरा जोरी से...
मैया मेरो ब्याह करवा दे, बृज की छोरी से...




"ओ मेरी मैया, तू तो मेरे मन की हर बात जानती है.."

राधा बिन कान्हा आधा, दोनों का एक इरादा..
तू मेरे मन की जाने, मैं और कहू क्या ज्यादा...
मोहन का मेल करा दे, प्रेम कटोरी से...
मैया मेरो ब्याह करवा दे, बृज की छोरी से...




"ओ मेरी प्यारी प्यारी  मैया..."

कान्हा के नैन लड़े है, राधिका गोरी से...
कान्हा के नैन लड़े है, राधिका गोरी से...
मैया मेरो ब्याह करवा दे, बृज की छोरी से...
मैया मेरो ब्याह करवा दे, बृज की छोरी से...



कान्हा के इन मधुर शब्दों का आनंद लेते हुए मैया यशोदा, अपने छोटे से लाल को गले से लगा लेती है,, और सिर पर हाथ फेरते हुए वास्तल्य पूर्ण भाव से अपनी गोद में बिठा कर  बलैया लेती हुई आँचल में छुपा लेती है...







Mukesh K Agrawal
"ओ मेरी मैया, तू तो मेरे मन की हर बात जानती है, कि..."

राधा बिन कान्हा आधा, दोनों का एक इरादा..
तू मेरे मन की जाने, मैं और कहू क्या ज्यादा...
मोहन का मेल करा दे, प्रेम कटोरी से...
मैया मेरो ब्याह करवा दे, बृज की छोरी से...




Nidhi Dhawan jai shri radhey





Manjulata Verma bahut sundar likha hai, pad bhi bahut achchha hai, jasumati maiya aur kanha ki chhavi to sundar hai hi,man ko ak sukhad ahasas huaa,jaise laga sab lila aankho ke samane ho rahi ho.dhanyavad .radhe radhe.



Suraj Gupta ‎@ mukesh////यसोदा मां कहती है...
 
उम्र तेरी छोटी है, नज़र तेरी खोटी है,कैसे करा दु तेरो ब्याह.......:):):)...


Suraj Gupta ‎@manjulata aunty:) thanx....
 




Mukesh K Agrawal

सूरज भाई...

और मैया के इस प्रकार कहते ही, कान्हा ने से अपनी छोटी छोटी बैया को  मैया के गले से निकालते हुए रूठी हुए मुद्रा में दूर जाकर बहुत ही मधुर भाव से इस  प्रकार मैया से  कहने लगे... 


"सुन ले मेरी मैया..."


जो न ब्याह करवाये, तेरी गैया नाहि चराऊँ...
आज के बाद मेरी मैया, तेरी दहली पर ना आऊँ...
फिर मुझको न तू कहना, क्यों न आया तेरे द्वार पे...
राधिका गोरी से, बृज की छोरी से,  मैया करा द मेरो ब्याह...


कान्हा की इस बात को मैया ने हँस का टाल दिया... मैया की इस प्रतिक्रिया को देख कान्हा ने सोचा अब मैया को मीठी मीठी बातो से ही मनाना पड़ेगा... सो कुछ पास आकर उन्होंने पुनः इस प्रकार कहा...


"ओ मेरी भोरी मैया..."



चंदन की चौकी पै, मेरी मैया तोहे बैठाऊं...
अपनी राधा से मैया, मैं चरण तेरे दबवाऊँ...
और, भोजन में बनवाऊगो, छप्पन प्रकार के...
राधिका गोरी से, बृज की छोरी से, मैया करा दै मेरो ब्याह...


ततपश्चात कान्हा ने मैया के गोल गोल चक्कर लगाते हुए बहुत ही मधुर भाव में राधा से  ब्याह करवाने के लिए पुनः इसप्रकार कहा...


"अरी! मेरी प्यारी मैया..."



छोटी सी दुल्हनिया, जब अंगना में डोलेगी...
तेरे सामने मेरी मैया, घूंघट ना खोलेगी...
दाऊ से जा कहो, जा कहो, बैठेंगे द्वार पे...
राधिका गोरी से, बृज की छोरी से, मैया करा दै मेरो ब्याह...


कान्हा की इसप्रकार की मधुर मधुर बाते सुन सुन कर मैया मन ही मन में अत्यंत ही आनंदित हो... अपने कान्हा की बलैया लेने लगती है...और पुनः उन्हें अपने अंचल में छुपा लेती है....और हँसते हुए कहती है कि...



सुन बातें कान्हा की, मैया बैठी मुसकाये...
लेके बलाइयां मैया, हिवड़े  से अपने लगाये..
नज़र कहीं लग जाए ना, लग  जाए ना मेरे लाल को...
उमर तेरी छोटी हैं,  नज़र तेरी  खोटी हैं,  कैसे करायदऊँ तेरो ब्याह...?

Monday, October 4, 2010

!! राधे रानी के चक्कर म, श्याम जनाना बन गया रे... !!



अब आप लोग स्वयं ही देख लो इस लीलाधर की यह अनुपम लीला...


राधे रानी के चक्कर म, श्याम जनाना बन गया रे...
चूड़ी बेचन गया महल म, महंगा पड़ गया रे...
राधे रानी के चक्कर म, श्याम जनाना बन गया रे...


साड़ी पेहरी, लहंगा पेहरा, धरया रे भेष लुगाई का...
लांबा-लांबा घुंघटा काड्या, पूरा जच गया रे...
राधे रानी के चक्कर म, श्याम जनाना बन गया रे...


चूड़ी ले ल्यो चूड़ी ले ल्यो, गली म हेलो मारे रे..
चूड़ी पहरावन राधे जी क, पीछे पड़ गया रे...
राधे रानी के चक्कर म, श्याम जनाना बन गया रे...




चूड़ी पहरावे होले होले, कस के हाथ दबावे जी..
हाथ मरद का भेष जनाना, खेल बिगड़ गया रे...
राधे रानी के चक्कर म, श्याम जनाना बन गया रे...


ऐसा हाथ दबाया देखो, पिट गया राधे रानी से
हुई पिटाई बनवारी और कपड़ा उतर गया रे...
राधे रानी के चक्कर म, श्याम जनाना बन गया रे...


राधे रानी के चक्कर म, श्याम जनाना बन गया रे...
चूड़ी बेचन गया महल म, महंगा पड़ गया रे...
राधे रानी के चक्कर म, श्याम जनाना बन गया रे...


                   !! जय जय श्री राधे !!

            !! जय जय श्री श्यामसुन्दर जी !!

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