आहा!! आज तो सांवरिया का श्रृंगार कितना आलौकिक रूप सुं चमक दमक रहयो ह... आज सांवरिया न देखो तो सही काई बात ह...
रूप चंदा जईया चमके, तेज़ सूरज जईया दमके...
आज सांवरिया न देखो काई बात जी...
मुखड़ो भोर सुहानी लागे, नयना दोपहरी सा जागे...
केश जईया मस्तानी आई रात जी...
आज सांवरिया न देखो काई बात जी...
चुन चुन फुलरा हार बनायो, बागा प गोटा किनारी...
भांति भांति का इत्र लगाया, महके दुनिया सारी...
ओ स्वर्ण मुकुट धारयो माथा पे...
थोडी पर जो हीरो चमके, झलक रहयो है जमके...
रूप चंदा जईया चमके, तेज़ सूरज जईया दमके...
आज सांवरिया न देखो काई बात जी...
गल वैजयंती माल सोहे, कमर पे करधनी प्यारी...
काना में थारे कुंडल सोहे, अद्भुत छवि न्यारी...
ओ बंशी सजी है थारे अधरा पे...
एक बार थे बंशी बजाओ, पग पग घुंघरू चमके...
रूप चंदा जईया चमके, तेज़ सूरज जईया दमके...
आज सांवरिया न देखो काई बात जी...
बुरी नज़र न लागे कोई, राई नून तो उवारो...
सज धज बैठ्यो बनरो सो यो, सबने लागे प्यारो...
ओ मंद हँसी म्हारो मन मोहे...
हाथ राखो थारे भागता के सिर पे, चरणा में रह रमके...
रूप चंदा जईया चमके, तेज़ सूरज जईया दमके...
आज सांवरिया न देखो काई बात जी...
!! जय जय श्री सांवरिया श्यामसुन्दर !!
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