!! ॐ !!


Monday, October 4, 2010

!! राधे रानी के चक्कर म, श्याम जनाना बन गया रे... !!



अब आप लोग स्वयं ही देख लो इस लीलाधर की यह अनुपम लीला...


राधे रानी के चक्कर म, श्याम जनाना बन गया रे...
चूड़ी बेचन गया महल म, महंगा पड़ गया रे...
राधे रानी के चक्कर म, श्याम जनाना बन गया रे...


साड़ी पेहरी, लहंगा पेहरा, धरया रे भेष लुगाई का...
लांबा-लांबा घुंघटा काड्या, पूरा जच गया रे...
राधे रानी के चक्कर म, श्याम जनाना बन गया रे...


चूड़ी ले ल्यो चूड़ी ले ल्यो, गली म हेलो मारे रे..
चूड़ी पहरावन राधे जी क, पीछे पड़ गया रे...
राधे रानी के चक्कर म, श्याम जनाना बन गया रे...




चूड़ी पहरावे होले होले, कस के हाथ दबावे जी..
हाथ मरद का भेष जनाना, खेल बिगड़ गया रे...
राधे रानी के चक्कर म, श्याम जनाना बन गया रे...


ऐसा हाथ दबाया देखो, पिट गया राधे रानी से
हुई पिटाई बनवारी और कपड़ा उतर गया रे...
राधे रानी के चक्कर म, श्याम जनाना बन गया रे...


राधे रानी के चक्कर म, श्याम जनाना बन गया रे...
चूड़ी बेचन गया महल म, महंगा पड़ गया रे...
राधे रानी के चक्कर म, श्याम जनाना बन गया रे...


                   !! जय जय श्री राधे !!

            !! जय जय श्री श्यामसुन्दर जी !!

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