आज हमारे छोटे से श्यामसुन्दर, अपनी मैया के पास एक विशेष अनुरोध लेकर आये है... मैया यशोदा प्रफुल्लित मन से कान्हा के लिए माखन निकालने में मग्न है और सहसा कान्हा का आगमन उनके मन को और भी प्रफुल्लित कर देता है... छोटे से श्यामसुन्दर ने, मैया के पास आकर अपनी छोटी छोटी बैया को मैया के गले में प्रेमपूर्ण भाव से डाल दी और गंभीरता पूर्वक अपने दिल की बात को अपनी मैया को इस प्रकार कहते है...
"मेरी प्यारी मैया, तू मेरी बात जरा ध्यान से सुन..."
कान्हा के नैन लड़े है, राधिका गोरी से...
सपनो में रोज़ वो आये, मुझे सारी रात जगाये...
अपने घर से ला ला कर, मुझे माखन रोज़ खिलाये...
मैं बंध गया धीरे धीरे, प्रीत की डोरी से...
मैया मेरो ब्याह करवा दे, बृज की छोरी से...
वो दिखती है बड़ी भोली, कहती है खेलेंगे होली...
मैया मेरो ब्याह करवा दे, बृज की छोरी से...
मैया मेरो ब्याह करवा दे, बृज की छोरी से...
मैया मेरो ब्याह करवा दे, बृज की छोरी से...
कान्हा के इन मधुर शब्दों का आनंद लेते हुए मैया यशोदा, अपने छोटे से लाल को गले से लगा लेती है,, और सिर पर हाथ फेरते हुए वास्तल्य पूर्ण भाव से अपनी गोद में बिठा कर बलैया लेती हुई आँचल में छुपा लेती है...
कान्हा के नैन लड़े है, राधिका गोरी से...
कान्हा के नैन लड़े है, राधिका गोरी से...
मैया मेरो ब्याह करवा दे, बृज की छोरी से...
मैया मेरो ब्याह करवा दे, बृज की छोरी से...अपने घर से ला ला कर, मुझे माखन रोज़ खिलाये...
मैं बंध गया धीरे धीरे, प्रीत की डोरी से...
मैया मेरो ब्याह करवा दे, बृज की छोरी से...
वो दिखती है बड़ी भोली, कहती है खेलेंगे होली...
फागुन में लेके आना, तुम मस्तानो की टोली...
गया चैन जबसे लड़े है नैन, चाँद चकोरी से...मैया मेरो ब्याह करवा दे, बृज की छोरी से...
मुझको बड़ी प्यारी लागे, दुनिया से न्यारी लागे...
मुझे शरम बहुत आती है, और क्या बतलाऊं आगे...
मैं तंग आया हूँ, उसकी जोरा जोरी से...मैया मेरो ब्याह करवा दे, बृज की छोरी से...
राधा बिन कान्हा आधा, दोनों का एक इरादा..
तू मेरे मन की जाने, मैं और कहू क्या ज्यादा...
मोहन का मेल करा दे, प्रेम कटोरी से...मैया मेरो ब्याह करवा दे, बृज की छोरी से...
कान्हा के नैन लड़े है, राधिका गोरी से...
कान्हा के नैन लड़े है, राधिका गोरी से...
मैया मेरो ब्याह करवा दे, बृज की छोरी से...
मैया मेरो ब्याह करवा दे, बृज की छोरी से...
कान्हा के इन मधुर शब्दों का आनंद लेते हुए मैया यशोदा, अपने छोटे से लाल को गले से लगा लेती है,, और सिर पर हाथ फेरते हुए वास्तल्य पूर्ण भाव से अपनी गोद में बिठा कर बलैया लेती हुई आँचल में छुपा लेती है...
Mukesh K Agrawal
"ओ मेरी मैया, तू तो मेरे मन की हर बात जानती है, कि..."
राधा बिन कान्हा आधा, दोनों का एक इरादा..
तू मेरे मन की जाने, मैं और कहू क्या ज्यादा...
मोहन का मेल करा दे, प्रेम कटोरी से...
मैया मेरो ब्याह करवा दे, बृज की छोरी से...
Nidhi Dhawan jai shri radhey
Manjulata Verma bahut sundar likha hai, pad bhi bahut achchha hai, jasumati maiya aur kanha ki chhavi to sundar hai hi,man ko ak sukhad ahasas huaa,jaise laga sab lila aankho ke samane ho rahi ho.dhanyavad .radhe radhe.
Suraj Gupta @ mukesh////यसोदा मां कहती है...
उम्र तेरी छोटी है, नज़र तेरी खोटी है,कैसे करा दु तेरो ब्याह.......:):):)...
Mukesh K Agrawal
सूरज भाई...
सूरज भाई...
और मैया के इस प्रकार कहते ही, कान्हा ने से अपनी छोटी छोटी बैया को मैया के गले से निकालते हुए रूठी हुए मुद्रा में दूर जाकर बहुत ही मधुर भाव से इस प्रकार मैया से कहने लगे...
"सुन ले मेरी मैया..."
जो न ब्याह करवाये, तेरी गैया नाहि चराऊँ...
आज के बाद मेरी मैया, तेरी दहली पर ना आऊँ...
फिर मुझको न तू कहना, क्यों न आया तेरे द्वार पे...
राधिका गोरी से, बृज की छोरी से, मैया करा द मेरो ब्याह...
कान्हा की इस बात को मैया ने हँस का टाल दिया... मैया की इस प्रतिक्रिया को देख कान्हा ने सोचा अब मैया को मीठी मीठी बातो से ही मनाना पड़ेगा... सो कुछ पास आकर उन्होंने पुनः इस प्रकार कहा...
"ओ मेरी भोरी मैया..."
चंदन की चौकी पै, मेरी मैया तोहे बैठाऊं...
अपनी राधा से मैया, मैं चरण तेरे दबवाऊँ...
और, भोजन में बनवाऊगो, छप्पन प्रकार के...
राधिका गोरी से, बृज की छोरी से, मैया करा दै मेरो ब्याह...
ततपश्चात कान्हा ने मैया के गोल गोल चक्कर लगाते हुए बहुत ही मधुर भाव में राधा से ब्याह करवाने के लिए पुनः इसप्रकार कहा...
"अरी! मेरी प्यारी मैया..."
छोटी सी दुल्हनिया, जब अंगना में डोलेगी...
तेरे सामने मेरी मैया, घूंघट ना खोलेगी...
दाऊ से जा कहो, जा कहो, बैठेंगे द्वार पे...
राधिका गोरी से, बृज की छोरी से, मैया करा दै मेरो ब्याह...
कान्हा की इसप्रकार की मधुर मधुर बाते सुन सुन कर मैया मन ही मन में अत्यंत ही आनंदित हो... अपने कान्हा की बलैया लेने लगती है...और पुनः उन्हें अपने अंचल में छुपा लेती है....और हँसते हुए कहती है कि...
सुन बातें कान्हा की, मैया बैठी मुसकाये...
लेके बलाइयां मैया, हिवड़े से अपने लगाये..
नज़र कहीं लग जाए ना, लग जाए ना मेरे लाल को...
उमर तेरी छोटी हैं, नज़र तेरी खोटी हैं, कैसे करायदऊँ तेरो ब्याह...?
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