केवल एक भगवत्तत्व ही वास्तविक त्तत्व है, बाकी सब अत्तत्व है, जब तक अन्तःकरण में संसार का महत्त्व होता है, तब तक प्यारे प्रभु का महत्व समझ में नहीं आ सकता है... कभी कभी हम संसार की हर नाशवान वस्तु के पीछे दौड़ते है, पर जो नाशवान नहीं है, उसको भुला बैठते है... संसार की हर प्राप्त वस्तु नष्ट होने वाली है, पर जो परमतत्त्व परमात्मा है, वह कभी नष्ट नहीं होता... अतएव सांसारिक क्रियाक्लापों में लिप्त जब हम कई तरह के संकट में फँस जाते है... अथवा अपने पूर्ण जनम के संस्कारों से जब हमें जब कभी प्रभु प्रेमीजनो का सानिध्य प्रसाद रूप में प्राप्त होता है... तो सहसा हमें उस परमतत्त्व परमात्मा श्री श्यामसुन्दर की अनुभूति अंतर्मन में करने की लालसा हो उठती है...
जिस प्रकार से हम अपने छोटे से निश्छल बच्चे के मुख से अपना नाम सुनना पसंद करते है... तथा बार बार कहने को कहते है, ओर उसके बुलाने पर उसके पास दौड़े चले जाते है, ठीक उसी प्रकार प्यारे प्रभु अपने निज भक्त स्वरूप अपने बच्चे की निश्छल एवं करुण पुकार सुन उसके समीप दौड़े चले आते है... तत्पश्चात प्रिय प्रभु का वह प्रेमी, अपने हृदय की भावना को प्रेम के वशीभूत होकर इस प्रकार गद् गद् वाणी से अपने प्रभु श्री श्यामसुन्दर के श्री चरणों में समर्पित करता है...
दुनिया में अपना, कृष्ण कन्हाई, दुनिया में अपना, कृष्ण कन्हाई...
इन्हीं के सहारे जिये जा रहा हूँ, पीड़ा हृदय की इन्ही को बताई...
दुनिया में अपना, कृष्ण कन्हाई, दुनिया में अपना, कृष्ण कन्हाई...
ज़िन्दगी में कई, मोड़ ऐसे मिले...
न कोई राह थी, न इशारे मिले...
घबड़ा के मैंने, प्रभु को पुकारा...
प्यारे प्रभु ने ही मंजिल दिखाई...
दुनिया में अपना, कृष्ण कन्हाई, दुनिया में अपना, कृष्ण कन्हाई...
इन्हीं के सहारे जिये जा रहा हूँ, पीड़ा हृदय की इन्ही को बताई...
चाहते श्याम की, आरजू श्याम की...
मैं तो माला जपु, श्याम के नाम की...
सांसो पे मेरी, कन्हैया का हक हैं....
कन्हैया ने प्रीत की रीत निभाई....
दुनिया में अपना, कृष्ण कन्हाई, दुनिया में अपना, कृष्ण कन्हाई...
इन्हीं के सहारे जिये जा रहा हूँ, पीड़ा हृदय की इन्ही को बताई...
सार ये बात का, साँवरा सार हैं...
प्रेम वर्षा करे, प्रेम का द्वार हैं...
इनकी दया बिन घोर अँधेरा...
इनकी कृपा से दिन सुखदाई...
दुनिया में अपना, कृष्ण कन्हाई, दुनिया में अपना, कृष्ण कन्हाई...
इन्हीं के सहारे जिये जा रहा हूँ, पीड़ा हृदय की इन्ही को बताई...
दिल में जज्बात हैं, सांवरा ही साथ हैं...
मेरे सर पे मेरे, श्याम का हाथ हैं...
जैसा भी होग, अच्छा ही होगा...
'नंदू' कन्हैया से डोर बंधाई...
दुनिया में अपना, कृष्ण कन्हाई, दुनिया में अपना, कृष्ण कन्हाई...
इन्हीं के सहारे जिये जा रहा हूँ, पीड़ा हृदय की इन्ही को बताई...
दुनिया में अपना, कृष्ण कन्हाई, दुनिया में अपना, कृष्ण कन्हाई...
इन्हीं के सहारे जिये जा रहा हूँ, पीड़ा हृदय की इन्ही को बताई...
!! जय हो प्यारे प्रभु श्री श्यामसुन्दर जी की !!
!! जय हो प्यारे प्रभु श्री श्यामसुन्दर जी की !!
दुनिया में अपना, कृष्ण कन्हाई, दुनिया में अपना, कृष्ण कन्हाई...
इन्हीं के सहारे जिये जा रहा हूँ, पीड़ा हृदय की इन्ही को बताई...
दुनिया में अपना, कृष्ण कन्हाई, दुनिया में अपना, कृष्ण कन्हाई...
ज़िन्दगी में कई, मोड़ ऐसे मिले...
न कोई राह थी, न इशारे मिले...
घबड़ा के मैंने, प्रभु को पुकारा...
प्यारे प्रभु ने ही मंजिल दिखाई...
दुनिया में अपना, कृष्ण कन्हाई, दुनिया में अपना, कृष्ण कन्हाई...
इन्हीं के सहारे जिये जा रहा हूँ, पीड़ा हृदय की इन्ही को बताई...
चाहते श्याम की, आरजू श्याम की...
मैं तो माला जपु, श्याम के नाम की...
सांसो पे मेरी, कन्हैया का हक हैं....
कन्हैया ने प्रीत की रीत निभाई....
दुनिया में अपना, कृष्ण कन्हाई, दुनिया में अपना, कृष्ण कन्हाई...
इन्हीं के सहारे जिये जा रहा हूँ, पीड़ा हृदय की इन्ही को बताई...
सार ये बात का, साँवरा सार हैं...
प्रेम वर्षा करे, प्रेम का द्वार हैं...
इनकी दया बिन घोर अँधेरा...
इनकी कृपा से दिन सुखदाई...
दुनिया में अपना, कृष्ण कन्हाई, दुनिया में अपना, कृष्ण कन्हाई...
इन्हीं के सहारे जिये जा रहा हूँ, पीड़ा हृदय की इन्ही को बताई...
दिल में जज्बात हैं, सांवरा ही साथ हैं...
मेरे सर पे मेरे, श्याम का हाथ हैं...
जैसा भी होग, अच्छा ही होगा...
'नंदू' कन्हैया से डोर बंधाई...
दुनिया में अपना, कृष्ण कन्हाई, दुनिया में अपना, कृष्ण कन्हाई...
इन्हीं के सहारे जिये जा रहा हूँ, पीड़ा हृदय की इन्ही को बताई...
दुनिया में अपना, कृष्ण कन्हाई, दुनिया में अपना, कृष्ण कन्हाई...
इन्हीं के सहारे जिये जा रहा हूँ, पीड़ा हृदय की इन्ही को बताई...
!! जय हो प्यारे प्रभु श्री श्यामसुन्दर जी की !!
!! जय हो प्यारे प्रभु श्री श्यामसुन्दर जी की !!
nice post..
ReplyDeletePlease visit my blog..
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