!! ॐ !!


Saturday, November 6, 2010

!! श्री गोवर्धन महाराज, तेरे माथे मुकुट विराज रहयो... !!







आज श्री गिरिराज गोवर्धन जी का पूजनोत्सव हैं, जैसा की सभी जानते हैं कि, हमारे प्रिय श्री गिरिराज गोवर्धन जी, सम्पूर्ण ब्रजमंडल के अधिष्ठात्र देव भगवान श्री कृष्ण से कतई भिन्न नहीं है... भगवान श्री श्यामसुन्दर ने स्वयं श्री गिरिराज जी के रूप में प्रकट होकर सभी ब्रजवासियो के द्वारा की गयी पूजा और छप्पन भोग को स्वीकार किया था... और उन्ही ब्रजवासियों की रक्षा हेतु इन्ही गिरिराज गोवर्धन जी को अपनी उंगली में सात दिन और सात रात तक धारण कर गिरिराज धरण कहलाये...


ऐसे पवित्र गिरिराज गोवर्धन जी की स्तुति कौन नहीं करना चाहेगा...श्री गिरिराज गोवर्धन महाराज की यह स्तुति जब भी मैं सुनता हूँ, तो मेरा ह्रदय श्रद्धा से विभोर हो जाता है...और अनायास ही मेरे पाँव उनके प्रति प्रेम भावना से वशीभूत हो स्वयं थिरकने लग जाते है...



श्री गोवर्धन महाराज... ओ महाराज... तेरे माथे मुकुट विराज रहयो...
श्री गोवर्धन महाराज... ओ महाराज... तेरे माथे मुकुट विराज रहयो...


तो पे पान चढ़े, तो पे फुल चढ़े... ओ, तो पे पान चढ़े, तो पे फुल चढ़े...
तो पे चढ़े दूध की धार... हाँ धार... तेरे माथे मुकुट विराज रहयो...


तेरे गले में कंठा सोह रहयो... ओ तेरे गले में कंठा सोह रहयो...
तेरी ठोडी पे हीरा लाल... हाँ लाल... तेरे माथे मुकुट विराज रहयो...


तेरे कानन कुण्डल चमक रहयो... ओ तेरे कानन कुण्डल चमक रहयो...
तेरे गल वैजयन्ती माल... हाँ माल... तेरे माथे मुकुल विराज रहयो...


तेरी झांकी जग से न्यारी हैं... ओ तेरी शोभा सबसे प्यारी हैं....
तेरी झांकी बनी विशाल... हाँ विशाल... तेरे माथे मुकुट विराज रहयो...


तेरे मानसी गंगा बहे सदा... ओ तेरे मानसी गंगा बहे सदा....
तेरी माया अपरम्पार... हाँ पार... तेरे माथे मुकुट विराज रहयो...


तेरी सात कोस की परिकरमा... ओ तेरी सात कोस की परिकरमा...
चकलेश्वर है विश्राम... हाँ विश्राम... तेरे माथे मुकुल विराज रहयो...



ब्रज मंडल जब डूबत देखा... ओ जब ग्वाल बाल व्याकुल देखा...
लिया नख पर गिरिवर धार... हाँ धार... तेरे माथे मुकुट विराज रहयो...


गोवर्धन जी अति पावन हैं... ओ वृन्दावन जी मनभावन हैं...
और पावन ब्रज की माट... हाँ माट... तेरे माथे मुकुट विराज रहयो...


श्री गोवर्धन महाराज... ओ महाराज... तेरे माथे मुकुट विराज रहयो...
श्री गोवर्धन महाराज... ओ महाराज... तेरे माथे मुकुट विराज रहयो...


आप सभी भक्तवृंद इस अनुपम स्तुति को नीचे दिए गए youtube  की लिंक पर क्लिक करके सुन भी सकते है...




!! जय जय श्री श्री गिरिराज गोवर्धन जी !!
!! जय जय श्री गिरिराज धरण श्री श्यामसुन्दर जी !!

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