आज पावन पुनित हरियाली तीज है... वृज के सम्पूर्ण वनों में केवल हरीतिमा ही हरीतिमा छाई हुई है... निकुंजो में कदम्ब की डालियों पर झूले ही झूले लगे है परन्तु आज इस तीज के अवसर पर श्री राधा जी, प्रिय श्यामसुन्दर से रूठी हुई है... और श्री जी की यह मान मुद्रा, प्यारे श्यामसुन्दर के ह्रदय को विचलित कर देती हैं, और वे श्री राधा जी को मनाने के लिए भिन्न भिन्न प्रयास करते हुए, एक कदंब के पेड़ के नीचे श्री जी के कपोल कमलों पर अपने हस्त कमल को रखकर उन्हें मनाते हुये इस प्रकार कहते है...
झूलो की रुत है आई, ओ श्री राधा प्यारी...
सावन की तीज आई, ओ श्री राधा प्यारी...
झूलो की रुत है आई, ओ श्री राधा प्यारी...
सावन की तीज आई, ओ श्री राधा प्यारी...
सावन सुहाना आया, गर्जन भी साथ लाया...
गर्जन भी साथ लाया... गर्जन भी साथ लाया...
अब देर न लगाओ, जल्दी करो तैयारी...
झूलो की रुत है आई, ओ श्री राधा प्यारी...
मेघन झड़ी लगाई, नवघोर घटा छाई...
नवघोर घटा छाई... नवघोर घटा छाई...
देखो कुंवर किशोरी, पड़े बूंद प्यारी प्यारी...
सावन की तीज आई, ओ श्री राधा प्यारी...
पहरों सुरंग साड़ी, मानो विनय हमारी...
मानो विनय हमारी... मानो विनय हमारी...
मुखचन्द्र की उजियारी, जल्दी चलो न प्यारी...
झूलो की रुत है आई, ओ श्री राधा प्यारी...
श्री वंशीवट पे प्यारी, सुन्दर कदंब की डारी...
सुन्दर कदंब की डारी... सुन्दर कदंब की डारी...
सुन्दर सजा है झुला, जल्दी पधारो प्यारी...
सावन की तीज आई, ओ श्री राधा प्यारी...
झुला तुम्हे झुलाऊ, और बांसुरी सुनाऊ...
और बांसुरी सुनाऊ... और बांसुरी सुनाऊ...
अब मान को त्यागो, ये तीज बड़ी है प्यारी...
झूलो की रुत है आई, ओ श्री राधा प्यारी...
सावन की तीज आई, ओ श्री राधा प्यारी...
झूलो की रुत है आई, ओ श्री राधा प्यारी...
अब देर न लगाओ, जल्दी पधारो प्यारी...
सावन की तीज आई, ओ श्री राधा प्यारी...
और फिर श्री श्यामसुन्दर के प्रेम के वशीभूत हो प्यारी राधा जी अपने मान को त्याग, झूले में विराजित होती हैं एवं श्री मुकुंद बिहारी उन्हें झूला झुलाते है...
!! जय जय नित्य निकुंज विहारिणी श्री राधा जी की !!
!! जय जय नित्य निकुंज विहारी श्री श्यामसुन्दर की !!
आप सभी भक्तवृंदो को हरियाली तीज कि बहुत शुभकामनाये....
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