हे! प्रिय श्यामसुन्दर, हे प्रिय मनमोहन, हे प्रिय वंशीधर आज अपने सभी प्रेमियों को आखिर ये तो बता ही दो, कि अधरों पे ये जादुगारी वंशी धर किसको सुना रहे हो, और इन नयन कमलों के चितवन को नीचे कर किससे नजर चुराते हुए, इस वंशी की मधुर तान से किसे लुभा रहे हो...
अधरों पे धर के वंशी, किसको सुना रहे हो...
अधरों पे धर के वंशी, किसको सुना रहे हो...
इतना बता दे मोहन, किसको लुभा रहे हो...
इतना बता दे कान्हा, किसको लुभा रहे हो...
बनकर तेरा दीवाना, तेरी याद में विचरता...
तेरे लिए कन्हैया, ये दिल मेरा धड़कता...
अच्छा नहीं जो प्यारे, नजरें चुरा रहे हो...
अधरों पे धर के वंशी, किसको सुना रहे हो...
हे मनमोहन...
एक बात पूछता हूँ, क्या मैं भी तुमको भाता...
गर प्रेम हो बराबर, फिर क्यूँ मुझे सताता...
इतना ही कह दे मुझको, क्यूँ जुल्म ढा रहे हो...
इतना बता दो मोहन, किसको लुभा रहे हो...
क्या तुम्हे पता भी है, कि...
नजदीक जो तू होता, आँसू मैं क्यूँ बहाता...
साये में तेरे मोहन, खुद को ही भूल जाता...
दर्दी जिगर पे क्यूँ कर, नस्तर चला रहे हो...
अधरों पे धर के वंशी, किसको सुना रहे हो...
अरे! प्यारे...
तेरा रूप है निराला, तेरी शान है निराली...
अरे! प्यारे...
तेरा रूप है निराला, तेरी शान है निराली...
ये बागवाँ है तेरा, और तू ही इसका माली...
'नंदू' दया दिखा दे, क्यूँ भाव खा रहे हो....
इतना बता दो मोहन, किसको लुभा रहे हो...
अधरों पे धर के वंशी, किसको सुना रहे हो...
अधरों पे धर के वंशी, किसको सुना रहे हो...
इतना बता दे मोहन, किसको लुभा रहे हो...
इतना बता दे कान्हा, किसको लुभा रहे हो...
आप सभी इस सुमधुर भाव की कुछ पंक्तियाँ नीचे दी गयी लिंक पर क्लीक कर सुन सकते है...
!! जय हो प्रिय श्यामसुन्दर की !!
!! जय हो प्रिय मनमोहन की !!
!! जय हो प्रिय वंशीधर की !!
भाव के रचियता : "श्री नंदू जी"
्वाह गज़ब
ReplyDeleteआपकी रचना तेताला पर भी है ज़रा इधर भी नज़र घुमाइये
http://tetalaa.blogspot.com/
vah keya gajab ka hai ,sundar aati sundar
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