!! ॐ !!


Wednesday, July 13, 2011

!! दुनिया ये छलावा है, कही तुम भी न छल जाना... !!


कभी कभी जब कोई प्रभु का प्रिय प्रेमी इन सांसारिक छल कपट आदि व्याधियो से पूर्ण रूप से त्रस्त हो जाता है तो वह अत्यंत ही व्याकुल होकर करुण ह्रदय से अपने प्रभु को पुकारता हुआ इस प्रकार अपने अंतर्मन के भाव को प्रभु के समक्ष प्रस्तुत करता है...




दुनिया ये छलावा है, कही तुम भी न छल जाना...
बदले दुनिया लेकिन, तुम भी न बदल जाना...
दुनिया ये छलावा है, कही तुम भी न छल जाना...
बदले दुनिया लेकिन, तुम भी न बदल जाना...



तुमसे यह जीवन है, आधार हो तुम मेरा...
सच सच बोलू जी मैं, संसार हो तुम मेरा...
मुझ निर्बल ने ओ श्याम, तुमको ही तो बल माना...
बदले दुनिया लेकिन, तुम भी न बदल जाना...



दुनिया ये छलावा है, कही तुम भी न छल जाना...
बदले दुनिया लेकिन, तुम भी न बदल जाना...



गर तुम जो बदले तो, पुतला ये टूटेगा...
इस जीवन का सूरज, एक पल में डूबेगा...
इस प्रेम के बंधन को, मत तोड़ निकल जाना...
बदले दुनिया लेकिन, तुम भी न बदल जाना...



दुनिया ये छलावा है, कही तुम भी न छल जाना...
बदले दुनिया लेकिन, तुम भी न बदल जाना...



तुम साथ जो मेरे हो, जग की परवाह नहीं...
दुःख में न बहे आँसू, सुख की कोई चाह नहीं...
तेरी सेवा में बीते, उस पल को ही पल माना...
बदले दुनिया लेकिन, तुम भी न बदल जाना...



दुनिया ये छलावा है, कही तुम भी न छल जाना...
बदले दुनिया लेकिन, तुम भी न बदल जाना...
दुनिया ये छलावा है, कही तुम भी न छल जाना...
बदले दुनिया लेकिन, तुम भी न बदल जाना...



!! जय हो प्रिय श्यामसुन्दर जी की !!
!! जय हो प्रिय श्यामसुन्दर जी की !!
!! जय हो प्रिय श्यामसुन्दर जी की !!

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