जब भी तेरी याद आती हैं तो...
इन आँखों से यह आंसुओं का सैलाब क्यों उमड़ आता हैं...?
क्यों यह आँखों के किनारों को कर पार...
मेरी पलकों को भिगो जाता हैं...?
कभी कभी तो यह आंसू बहुत ही रुलाते हैं...
और कभी कभी तेरी यादों में...
यही आंसू मुझे बहुत हंसाते हैं...
और मेरे चेहरे पे एक मुस्कराहट सजा जाते हैं...
पर कई बार मैं सोचता हूँ....
की ये आंसू तेरी याद में क्यों आते हैं...?
क्यों मैं बेबस सा हो जाता हूँ...?
और तेरी यादों मैं खो जाता हूँ...?
क्या कही मुझसे कोई भूल हुई हैं... ?
जो तुम भी दरस नही दिखाते....
और तेरी यादों के साथ....
ये आँसू चले आते....
पता नही क्या पाप मैंने किये होंगे...
जो तू भी इतना हुआ मजबूर बैठा हैं...
ना तो तू दरस देने आता हैं, ना ही मुझे बुलाता हैं...
सामने रहकर मुझे यूँ तड़पाता हैं...
!! जय जय श्री श्यामसुन्दर जी !!
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