हे! श्री धाम वृन्दावन के श्री राधा गोपीनाथ जी, आपका ये दास आपके शरण में आया है, और आपसे हाथ जोड़ के विनती करता है कि...
हाथ जोड़ विनती करू, सुणिजो श्री गोपीनाथ....
दास आ गयो शरण में, अब रखिजो मेरी लाज....
धन्य आपको देश है, श्री वृन्दावन धाम.....
अनुपम छवि श्री गोपीनाथ की, दर्शन से कल्याण.....
नाथ-नाथ नित में रटु, श्री गोपीनाथ ही जीवन प्राण.....
श्री गोपीनाथ भक्त जग में बड़े, उनको करूँ प्रणाम.....
श्री वृन्दावन के बीच में, बण्यो आपको धाम….
जो कोई तेरा सुमिरन करे, उसको लेते हो थाम ….
उमापति, लक्ष्मीपति, सीतापति श्री राम …
लज्जा सबकी राखियो, हे मेरे घनश्याम...
पान, सुपारी, इलाइची, इत्र सुगंध भरपूर......
सब भक्तन की विनती, दर्शन देयो हजूर....
मैं तो बड़े प्रेम से, धरु श्री गोपीनाथ जी का ध्यान....
और आपके भक्त पाए सदा, आपकी कृपा से मान....
हाथ जोड़ विनती करू, सुणिजो श्री गोपीनाथ....
दास आ गयो शरण में, अब रखियो मेरी लाज....
!! जय जय श्री गोपीनाथ जी !!
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