!! ॐ !!


Tuesday, June 1, 2010

!! हमारा प्यारा श्री धाम वृंदावन !! Our Lovely Shri Dham Vrindavan

                                  हमारा प्यारा श्री धाम वृंदावन

जहाँ चिड़ियों का चहकना, मंदिरों की घंटी, सत पुरुषों का सत्संग जैसे भक्ति रस घुल रहा हो....हर आत्मा उस में मगन हो.... यह है हमारा प्यारा श्री धाम वृंदावन.....जहां हर बच्चा राधा कृष्णजी का स्वरुप है, जहां पढाई का पहला अक्षर भगवान् श्री हरी के नाम है....यमुनाजी का कल कल करता पानी, फल से लदे वृक्ष, फूलों के झुण्ड, भवरों की गुंजन, रास लीलाओं के गान; हर आत्मा को श्री राधा कृष्णाजी से जोड़ देता है......

कोई गिरिराज जी की परिक्रमा कर रहा है तो कोई वृन्दावन की; कोई जा रहा है..... निधिवन तो कोई वंशीवट; कोई मदन टीर तो कोई मान सरोवर... कोई भागवत वाच रहा है तो कोई गीता...कोई भक्तों को भगवान की कथा सुना रहा है.... तो कोई भगवान् के मीठे भजन गा रहा है, ऐसा लगता है की सब तन मन धन से भगवान के श्री चरणों में अर्पित हो गए हों....

कोई मंदिर की सीडियां धो रहा है तो कोई प्रसाद बाँट रहा है; कोई कीर्तन कर रहा है तो कोई दर्शन खुलने का इंतज़ार कर रहा है..... कोई दर्शन करके उस में मगन हो रहा है तो कोई पद्यावाली लिखने में व्यस्त हो रहा है .....; कहीं मंदिर में फूल श्रींगार बन रहा है तो कहीं भोग बन रहा है.... ऐसा लगता है जैसे आठों पहर भगवान् से शुरू हो कर भगवान् पर ही ख़तम हो जाते हैं .....

ना किसी को अपनी अवस्था का ध्यान है.... न ही समय का यह है सुन्दरता वृन्दावन धाम की जहां किस रूप में भगवान् मिल जाएँ कुछ पता नहीं.... ऐसी अद्भुत धरती को मैं शत शत नमन करता हूँ.....

श्री धाम वृन्दावन की पवित्र भूमि पर कदम पड़ते ही मन झूम झूम केवल यहीं गाने लगता हैं...

अली मोहे लागे वृन्दावन निकहो...अजी मोहे लागे वृन्दावन निकहो...
लागे वृन्दावन निकहो....सखा रे मोहे लागे वृन्दावन निकहो....

घर-घर तुलसी ठाकुर सेवा, घर-घर तुलसी ठाकुर सेवा, दर्शन गोविन्द जी को.....
अली मोहे लागे वृन्दावन निकहो, अजी मोहे लागे वृन्दावन निकहो....

निर्मल नीर बहत यमुना को, निर्मल नीर बहत यमुना को, भोजन दूध दही को...
अली मोहे लागे वृन्दावन निकहो, अजी मोहे लागे वृन्दावन निकहो....

रतन सिंहासन आप विराजो , रतन सिंहासन आप विराजो, मुकुट धरयो तुलसी को...
अली  मोहे लागे वृन्दावन निकहो, अजी मोहे लागे वृन्दावन निकहो...

अली मोहे लागे वृन्दावन निकहो...अजी मोहे लागे वृन्दावन निकहो...
लागे वृन्दावन निकहो....सखा रे मोहे लागे वृन्दावन निकहो....


My Heartiest Prayer to Shri Shyamsundar Ji...

O Lord of Shri Dham Vrindavana, Shri Shyamsundara…… When I will be able to see again your Holy and Pretty place of Shri Dham Vrindavana, Which has the light of Bhakti pervades the air of your Shri Dham…Which has the aura of Vrindaneswari Shri Radharani, Gopies, Gwalbaal and their love and devotion still linger there…. Which has holy Yamuna Maharani….. Which has Happy, Perplexed Birds, Peacock, Parrot, Monkey who chatter your Holy Name ‘O Krishna’….’O Shyamsundara’,…. And which has wayfarers requesting for salvation everywhere?

And O Krishna..O Shyamsundara….What will you going to do this time, When if again I, a much lowlier being, enter your Shri Dham ???

!! जय जय श्री श्यामसुन्दर जी !!
!! जय जय श्री राधारानी जी !!

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