!! ॐ !!


Monday, June 7, 2010

!! श्री श्री धाम वृंदावन के श्री राधा श्यामसुन्दर जी !! Shri Radha Shyamsundar Ji of Shri Dham Vrindavan

श्री धाम वृंदावन में विराजित श्री राधा श्यामसुन्दर जी का श्री विग्रह

 Mukesh K Agrawal's Photos - Wall Photos


Added April 24
Mukesh K Agrawal
Mukesh K Agrawal
तेरे भक्तो से हो प्रीति, तेरा  परिवार काफी है......
 हे गोविन्द! तेरा परिवार काफी है.......

हे! मुरलीधरा, मनमोहना.......हे! नंदनंदना हे राधामाधवा........ हे! मुरलीधरा, मनमोहना.......हे! नंदनंदना हे राधामाधवा.....
April 24 at 9:18pm · Report
Mukesh K Agrawal
Mukesh K Agrawal
श्री भगवान् के प्रति इस अतिसुन्दर भाव को आप सभी इस लिंक पर  क्लिक कर सुन सकते है......



April 24 at 10:01pm · Report
Himanshu Dev Banga
Himanshu Dev Banga
Creations and energies decides our devotion and love and then it starts our participation of our life and emotions.

जगत के रंग क्या देखूँ, तेरा  दीदार काफी हैं.....हे  गोविन्द! तेरा दीदार काफी हैं.....
करूँ मैं प्यार किस-किस से, तेरा एक  प्यार काफी है.....हे  गोविन्द! तेरा एक  प्यार काफी है.....

This is such an affectionate description of the love you have in your heart towards to my Master and King, Dear Bro, thank you very much for sharing the words of wisdom.

हे! मुरलीधरा, मनमोहना.......हे!  नंदनंदना हे  राधामाधवा........
हे! मुरलीधरा, मनमोहना.......हे!  नंदनंदना  हे  राधामाधवा.....
April 24 at 11:00pm · Report
Deena Bandhu Das
Deena Bandhu Das
This is Radha Shyamsundar Temple in Vrindavan. This big Deity was established by Baladeva Vidyabhusana. Just beside him on the right are the small orginal Deities of Radha Shyamsundar given to Shyamananda by Radharani personally!

Hey how you got this picture?! They're very strict! Last month the goswami grabbed some devotee's camera who took a snap, and handed it to the pujari to keep in the temple room!
April 24 at 11:04pm · Report
Mukesh K Agrawal
Mukesh K Agrawal
Himanshou......All glories goes to our Shyamsundar of Shri Dham Vrindavan....

Dear Deena Prabhu ji...I got this phto of Shri Shyamsundar from a site over the internet long time back and  thought to Share here for Virtual Darshan of our Dear Lord.........
Hare Krishna...Hare Krishna.........
April 24 at 11:11pm · Report
Himanshu Dev Banga
Himanshu Dev Banga
Yes Bro,
All glories goes to our Shyamsundar of Shri Dham Vrindavan and his super devotees!!
Hare Krishna...Hare Krishna........
April 24 at 11:25pm · Report
Deena Bandhu Das
Deena Bandhu Das
I figured that, I was just being humorous! :-) I also have a few on my laptop! BTW I never found out if that devotee got his camera back, so be careful!!
April 25 at 8:15am · Report
Mukesh K Agrawal
Mukesh K Agrawal
Dear Deena Prabhu ji...Thanx a lots for showing your concern and being here with us... :-)
Hare Krishna.....Hare Krishna......
April 25 at 9:47am · Report
Harriom Sharma
Harriom Sharma
ram ram bahi
April 25 at 10:21am · Report
Suraj Mal
Suraj Mal
Hari OMMMMMMMMMMMMMM
April 25 at 2:34pm · Report
Pulak Chakraborty
Pulak Chakraborty
Oh Lord of Universe.Oh Supreme power lord Please.....................
April 26 at 1:18am · Report
Mukesh K Agrawal
Mukesh K Agrawal
To Know all about Shri Radha Shyamsundar Ji and His temple's history One can click on the link given below :

http://www.facebook.com/ph
oto.php?pid=5160384&id=591
060090


!! Jai jai Shri Radha Shyam Sundar Ji !!
April 29 at 12:12am · Flag


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 छवियाँ वैष्णव.सज़ से

श्री श्यामसुन्दर जी के श्री मन्दिर का संक्षिप्त इतिहास 


श्री राधा श्यामसुन्दर जी के मंदिर का प्रवेश द्वार


श्री श्यामसुन्दर जी का श्री मंदिर

श्री धाम वृंदावन में  श्री श्यामसुन्दर जी का मन्दिर, श्री राधादामोदर मन्दिर के पास ही स्थित है... सन् 1578 की बसंत पंचमी को श्री राधारानी जी ने स्वयं अपने हृदय-कमल से श्री श्यामसुन्दर  जी को प्रकट करके अपने परम भक्त श्री श्यामानन्द प्रभु को प्रदान किया था.... सम्पूर्ण विश्व में श्री श्यामसुन्दर जी ही एक मात्र ऐसे श्री विग्रह हैं जो श्री राधा रानी जी के हृदय से प्रकट हुए हैं... कार्तिक मास में प्रतिदिन यहाँ भव्य झाँकियों के दर्शन होते हैं...



श्री श्यामसुन्दर जी का श्री मंदिर

ऐसा बहुत ही कम लोग  जानते हैं, श्री श्यामानन्द जी का पूर्व नाम दुखी कृष्णदास था...एक दिन वे वृंदावन में अपने भजन कुटीर के बाहर झाड़ू  लगा रहे थे... तभी उन्हें एक पायल गिरी हुई मिली....तभी वहां एक छोटी सी लड़की आई  और उसने कहा की बाबा यह पायल मेरी बड़ी बहिन की है....परन्तु दुखी कृष्णदास ने वो पायल उस लड़की को यह कहकर देने से मना कर दिया की....जिसकी पायल है मैं उसको ही दूंगा....ऐसा सुन वो लड़की वहां से चली गयी...

श्री श्यामसुन्दर जी का श्री मंदिर

और कुछ समय पश्चात् अपनी बड़ी बहिन को वहां पे  लेकर  आई.... वो लड़की और कोई नहीं थी वो तो  श्री राधारानी जी की परम सखी ललिता जी थी और उनकी बड़ी बहिन के रूप में स्वयं श्री राधा रानी जी थी..... अपने दिव्य दर्शन दुखी कृष्णा दास को दे, श्री राधारानी जी ने उनको आशीर्वाद  दिया और उस पायल से उनके सिर  पे दबा  कर तिलक जैसा  विस्मयकारी चिन्ह  अंकित  कर दिया.... और अपने हृदय कमल से प्रकट कर श्री श्यामसुन्दर जी की श्री विग्रह प्रदान किया..


श्री श्यामानन्द जी का तिलक स्थान

वृंदावन के कुछ वैष्णव भक्तों ने दुखी कृष्णदास के सिर पे विस्मयकारी तिलक को देख उनकी हसी उड़ाने लगे...फिर श्री राधा रानी जी ने स्वयं श्री जीव गोस्वामी जी के स्वपन में आकर उनको सब कुछ विस्तार से बताया...उसके बाद जीव गोस्वामी जी ने दुखी कृष्णदास का नाम बदल कर उस नाम का उल्टा "श्यामानन्द"  रख  दिया....



                मन्दिर के प्रवेश द्वार के सामने श्री श्यामानंद जी की पुष्प समाधी

अपने हृदय कमल के द्वारा प्रकट कर श्री राधा रानी जी ने जो श्री विग्रह श्री श्यामानन्द जी को  प्रदान किया था, उस श्री विग्रह के दर्शन भी इस मंदिर में कर सकते हैं....वे  श्री विग्रह गौड़ीय वेदान्ताचार्य श्री बलदेव विद्याभूषण द्वारा प्रतिष्ठित एवं सेवित श्री राधा श्यामसुन्दर जी के श्री विग्रह के मंडप के पास ही विराजित हैं.....


श्री राधा रानी के हृदय कमल से प्रकट हुई श्री राधा कुंजबिहारी जी का श्री विग्रह जिसको की स्वयं श्री राधारानी जी ने श्यामानन्द जी को प्रदान करी थी....


श्री धाम वृंदावन के श्री राधा श्यामसुन्दर जी के मंदिर में श्री बलदेव विद्याभूषण द्वारा प्रतिष्ठित एवं सेवित श्री राधा श्यामसुन्दर का श्री  विग्रह

इस संसार सागर में जो कोई भी श्री श्यामसुन्दर जी को अपने सच्चे ह्रदय से समर्पित हो कर उनसे प्रेम करता हैं...उसको को ही श्री श्याम सुन्दर जी का अथाह प्रेम मिलता है.....जिस प्रकार हम प्रभु को प्रेमपूर्वक उनकी दर्शन की आस में जगह जगह ढूंढते है......ठीक उसी प्रकार ही हमारे श्यामसुंदर जी अपने प्रिय भक्त को ढूंढते रहते हैं......प्रेम ही एक ऐसी डोर हैं......जिसमे हमारे प्रभु बंधकर अपन भक्त के पास आ जाते है.....


सच्चे हृदय से हो के समर्पित, प्रेम श्यामसुंदर से जो करता है...
ढूंढता जो सदा सांवरे को, मेरा सांवरा भी उसे ढूंढता हैं....

जिसकी नैया संभाले कन्हैया, उसको कोई फिकर न भंवर का....
एक उसकी ही मंजिल सही है, जो पथिक है प्रभु के डगर का....
गम की आंधी उसे क्या उड़ाये, जो प्रभु मौज में झूमता है...
ढूंढता जो सदा सांवरे को, मेरा सांवरा भी उसे ढूंढता हैं....

जिसका रिश्ता हो मायापति से, जग की माया उसे क्या लुभाये...
उनकी नज़रों में सब है बराबर, कोई अपना न कोई पराये...
जिनके दिल में बसा श्यामसुंदर, हर कहीं श्याम को देखता है....
ढूंढता जो सदा सांवरे को, मेरा सांवरा भी उसे ढूंढता हैं....

प्रेम की डोर से बंधके भगवन, भक्त के द्वार पे चलके आये...
रंग लाती है चाहत सभी की, आके गागर में जब सागर समाये...
बोल तेरी रजां क्या है प्यारे, जीव से ब्रम्ह यूँ पुछता है...
ढूंढता जो सदा सांवरे को, मेरा सांवरा भी उसे ढूंढता हैं....

एक दिन छोड़ के जग जाना, श्यामसुंदर का बन जा दीवाना..
श्याम को जिसने अपना हैं माना, उनको चरणों में मिलता ठिकाना..
जाने के बाद में ये जमाना, उनके चरणों के रज ढूंढता है..
ढूंढता जो सदा सांवरे को, मेरा सांवरा भी उसे ढूंढता हैं....

सच्चे ह्रदय से हो के समर्पित, प्रेम श्यामसुंदर से जो करता है..
ढूंढता जो सदा सांवरे को, मेरा सांवरा भी उसे ढूंढता हैं....


!! जय जय श्री श्यामसुन्दर जी !!
!! जय जय श्री राधा रानी जी !!

नोट : वैसे तो श्री धाम वृंदावन में श्री कृष्ण और राधा रानी जी  के 5000 से भी ज्यादा मंदिर हैं.....श्री धाम वृंदावन का हर एक घर मंदिर तुल्य है.... इस पेज पर मैंने वृंदावन  के कुछ मुख्य मंदिरों के बारे में प्रकाशित किया हैं.... आशा है आप लोग इन मंदिरों के दर्शन एवं श्री भगवान की श्री विग्रहो की मनोहारी छवियों के दर्शन इस पेज पर करके जरुर लाभान्वित हुए होंगे....

धन वृन्दावन धाम है, धन वृन्दावन नाम ! 
धन वृन्दावन रसिक जो सुमिरै स्यामा स्याम !!

भगवान्  श्री श्यामसुन्दर जी ने स्वयं कहा है कि, श्री धाम वृंदावन मेरा निज धाम है....इस वृन्दावन में जो समस्त पशु, पक्षी, मृग, कीट, मानव एवं देवता गण वास करते हैं.... वे मेरे ही अधिष्ठान में वास करते हैं... और देहावसान के बाद सब मेरे धाम को प्राप्त होते हैं.... वृन्दावन के वृक्ष साक्षात कल्पतरु हैं यहाँ की भूमि दर्पण के समान एवं मन्दिर, गौशाला स्थानों की भूमि तो चिन्तामणि स्वरूप, सर्व अभिलाषाओं की पूर्ति करने में समर्थ है....

  वृन्दावन के वृक्ष को मरहम न जाने कोय ! 
यहाँ डाल डाल और पात पात श्री राधे राधे होय !!

श्री धाम वृंदावन की छवि प्रतिक्षण नवीन है... आज भी चारों ओर आराध्य की आराधना और इष्ट की उपासना के स्वर हर क्षण सुनाई देते हैं... कोई भी अनुभव कर सकता है कि वृन्दावन की सीमा में प्रवेश करते ही एक अदृश्य भाव, एक अदृश्य शक्ति हृदय स्थल के अन्दर प्रवेश करती है... और वृन्दावन की परिधि छोड़ते ही यह दूर हो जाती है....

अष्टछाप कवि सूरदास जी ने वृन्दावन रज की महिमा के वशीभूत होकर गाया है-

हम ना भई वृन्दावन रेणु,
तिन चरनन डोलत नंद नन्दन नित प्रति चरावत धेनु ! 
हम ते धन्य परम ये द्रुम वन बाल बच्छ अरु धेनु !
सूर सकल खेलत हँस बोलत संग मध्य पीवत धेनु !!

इन्ही शब्दों के साथ मैं अपनी वाणी को यही विराम देता हूँ....

मुकेश के. अग्रवाल  

!! जय जय श्री श्यामसुन्दर जी !!
!! जय जय श्री राधा रानी जी !!


2 comments:

  1. JAI SHRI RADHE KRISHANA.....HARE KRISHANA HARE KRISHANA KRISHANA KRISHANA HARE HARE HARE RAMA HARE RAMA RAMA RAMA HARE HARE.....

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