हे! मेरे प्रिय श्यामसुन्दर...
मेरी तुमसे केवल एक ही अरजी है... कृपा कर मेरे सारे अवगुणों को मेरे चित से बाहर निकाल फेंको और आन विराजो मेरे इस हृदय रूपी सिंहासन पर... इस दास को अपनी कृपा का पात्र बनाओ श्यामसुन्दर...
मेरे अवगुण मिटा दो सब आज...
ओ श्यामसुन्दर मेरी अरज सुनो...
ओ साँवरिये मेरी अरज सुनो...
मैं मुरख हूँ नाहि जानू, पूजा पाठ हो कैसे...
नाम जपु बस हरपल तेरा, नाम जपु बस हरपल तेरा...
रखना शरण में पालनहार...
ओ श्यामसुन्दर मेरी अरज सुनो...
ओ साँवरिये मेरी अरज सुनो...
पापी हूँ तो भी तेरा, तू ही तारनेवाला..
तुम न मुझको तारोगे तो, तुम न मुझको तारोगे तो...
कौन तारेगा तारणहार...
ओ श्यामसुन्दर मेरी अरज सुनो...
ओ साँवरिये मेरी अरज सुनो...
जैसी मरजी रखना श्यामसुन्दर, बस इतनी है अरजी...
निकले अंत में मेरे मुख से, निकले अंत में मेरे मुख से....
नाम ही तेरा बारम्बार...
ओ श्यामसुन्दर मेरी अरज सुनो...
ओ साँवरिये मेरी अरज सुनो...
मेरे अवगुण मिटा दो सब आज...
ओ श्यामसुन्दर मेरी अरज सुनो...
ओ साँवरिये मेरी अरज सुनो...
!! जय जय श्री श्यामसुन्दर जी !!
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