हे! मेरे प्रिय श्यामसुन्दर सांवरिया.... आज आपकी ये अद्वितीय, अद्भुत, मोहिनी मूरत मेरे इन नयनो में ऐसी समा गयी है कि, दिल करता है इस अनुपम छवि को अपने नयन पटल में छिपा उसकी पलके बंद कर लूँ... आपके इस अनुपम, अद्वितीय श्रृंगार के सौंदर्य के दृष्टिगत पान ने, मेरे इन नयनो को बहुत ही सुखद एहसास दिया है... और मन बार बार आपके इस सौन्दर्य को भावना के इन श्री भाव बिंदु के माध्यम से व्यक्त करता है...
सांवरिया थारो, रूप समायो नयना माहि जी...
पलकां म थाने, बंद कर राखा जी...पलकां म थाने, बंद कर राखा जी...
मनमोहन थारे, माथे मुकुटमणि सोहे जी...
ये लट घुंघराला, लागे सुप्यारा जी...
ये लट घुंघराला, लागे सुप्यारा जी...
ओ रसिया थारे, केशरिया बागो तन पे साजे जी...
काना म कुण्डल, चमके निराला जी...
काना म कुण्डल, चमके निराला जी...
श्यामसुन्दर थारे, मनमोहा वंशी मुख पे साजे जी..
बाजे तो म्हारो, मनरो लुभावे जी...
बाजे तो म्हारो, मनरो लुभावे जी...
मनबसिया थारे, श्री चरणा पे पायल साजे जी...
थे आवो देवा, बेगा पधारो जी...
थे आवो देवा, बेगा पधारो जी...
म्हारा श्याम थे तो, सांवरिया सेठ भी कुहाओ जी...
है ठाठ थारा, देखा निराला जी...
है ठाठ थारा, देखा निराला जी...
सांवरिया थारी, सूरत पे जावे म्हे तो वारि जी...
मन मोहे मोहन, मुस्कान थारी जी...मन मोहे मोहन, मुस्कान थारी जी...
सांवरिया थारो, रूप समायो नयना माहि जी...
पलकां म थाने, बंद कर राखा जी...
पलकां म थाने, बंद कर राखा जी...
!! जय जय श्री श्यामसुन्दर जी !!
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