!! हिंडोरे में विराजित श्री श्री राधारमण लाल जी !!
सावन के महीने की रिमझिम बारिश और प्राकृतिक वातावरण बरबस ही मन को उल्लास व उमंग से भर देती है, और साथ ही साथ याद दिलाती है, श्रीधाम वृंदावन के हिंडोरा महोत्सव की...और जब जब ये सावन का महिना आता है, तब तब मेरा यह ह्रदय और मेरे नयन श्री धाम वृंदावन के श्री राधारमण जी के द्वार उन्हें हिंडोरो पर विराजित देखने को लालायित हो जाते हैं...
जब जब सावन आये...
नित मेघन घटा छाये...
कि मन में उमंग जगाये...
जाऊँगा मैं श्री राधारमण के द्वार...
सोहना सोहना मेरे लाल जी का श्रृंगार...
सावन का महिना आया हैं, ये संदेशा लाया हैं...
वृंदावन जाने को, सब हो जाओ तैयार...
देखो कोई रह न जाये...
ये हवायें गुन- गुनाये...
कि मन में उमंग जगाये...
जाऊँगा मैं श्री राधारमण के द्वार...
सोहना सोहना मेरे लाल जी का श्रृंगार...
सावन मस्त महिना हैं, श्री राधारमण जी से मिलना हैं...
अपने इस दिल का, सुनाऊंगा मैं हाल...
हिंडोरा में लाल को बिठाये...
नित मेघन घटा छाए...
कि मन में उमंग जगाये...
जाऊँगा मैं श्री राधारमण के द्वार...
सोहना सोहना मेरे लाल जी का श्रृंगार...
हिंडोरा में लाल को झुलाऊंगा, प्रेम सुधारस बरसाऊंगा...
उनके श्री मंदिर में, लग जाएगी कतार..
हिल मिल रंग जमाये...
ये हवायें गुन- गुनाये...
कि मन में उमंग जगाये...
जाऊँगा मैं श्री राधारमण के द्वार...
सोहना सोहना मेरे लाल जी का श्रृंगार...
जब जब सावन आये...
नित मेघन घटा छाये...
कि मन में उमंग जगाये...
जाऊँगा मैं श्री राधारमण के द्वार...
सोहना सोहना मेरे लाल जी का श्रृंगार...
!! जय जय श्री राधा रमण लाल जी !!
छवियाँ सौजन्य से : "श्री वैष्णवाचार्य पुष्पांग गोस्वामी जी"
भाव : "स्वरचित"
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