!! ॐ !!


Monday, August 30, 2010

!! दो आंसू तो दे दे, चरणों में बहाने को... !!




हे! मेरे प्रिय श्यामसुन्दर... अब कब तुम्हारी दया दृष्टि इस अदने से दास पर पड़ेगी?... और कब मेरे यह नयन प्रेमपूर्वक केवल तेरी ही यादों में अश्रुओं से सजल होंगे?... कब मेरे इस हृदय को तुम्हारी विरह वेदना की पीड़ा का अनुभव होगा?... मुझे क्या पता था कि तेरे प्रेम में निकले हुए अश्रु रूपी खजाना, केवल किस्मत और तेरी दया दृष्टि से ही मिलता हैं... और उनके बह जाने से ही तुम्हारी असीम कृपा प्राप्त होती है और तुम्हारा अद्वितीय, अनुपम प्रेम और दीदार प्राप्त होता हैं...


इसलिए, हे! मेरे श्यामसुन्दर... मेरी केवल एक ही इच्छा शेष रह गयी है... कृपया कर तुम्हारे प्रेम रूपी सागर की २ बुँदे, अश्रुओं के रूप में, तुम्हारे ही श्री चरणों में समर्पित करने हेतु मुझे दे दो... अब कब मुझे पर दया करोगे, मेरे दीनबंधू, दीनानाथ...?




हे! मेरे प्रिय श्यामसुन्दर... अब, मेरी तुमसे एकमात्र यही अरदास है कि...


कुछ दे या न दे श्याम, इस अपने दीवाने को...
दो आँसू तो दे दे, चरणों में बहाने को...


हे! मेरे प्रिय श्यामसुन्दर...


नरसी ने बहाए थे, मीरा ने बहाए थे...
जब जब भी कोई रोया, तुम दौड़ के आये थे...
काफी है दो बुँदे, घनश्याम रिझाने को...
दो आँसू तो दे दे, चरणों में बहाने को...


अब तक मुझे क्या पता था कि...


आँसू वो ख़जाना है, किस्मत से मिलता है...
इनके बह जाने से मेरा श्याम, पिघलता है...
करुणा का तू सागर है, अब छोड़ बहाने को...
दो आंसू तो दे दे, चरणों में बहाने को...


अब मुझे एहसास हुआ है कि...


दुःख में बह जाते है, खुशियों में जरुरी है...
आँसू के बिना मेरे श्याम, हर आँख अधूरी है...
पूरा करते आँसू, हर एक हर्जाने को...
दो आंसू तो दे दे, चरणों में बहाने को...



कुछ दे या न दे श्याम, इस अपने दीवाने को...
दो आँसू तो दे दे, चरणों में बहाने को...


               !! जय हो समस्त भक्तवृंद के प्रेमाश्रुओं की !!

!! जय हो समस्त भक्तवृंद के श्रीहृदय में विराजित श्री श्यामसुन्दर की !!
 
 
 

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