मेरी तो मेरे प्रिय श्यामसुन्दर से यही एक अरदास है, कि...
दो बूंद आँसू के, कान्हा देना मुझको...
तेरे चरणों में अर्पण, है करना जो मुझको...
दो बूंद आँसू के, कान्हा देना मुझको...
तेरे चरणों में अर्पण, है करना जो मुझको...
सुखी है झील नयन, नहीं बहता है पानी...
करूणा के सागर हो, हो तुम तो बड़े दानी...
सागर से मिलने से, झील को ना रोको...
दो बूंद आँसू के, कान्हा देना मुझको...
यह एक धरोहर थी, वो भी तुमने छीनी...
क्या पाप किये मैने, क्या ऐसी थी करनी...
करनी के दोषों से, मुक्त करो मुझको...
दो बूंद आँसू के, कान्हा देना मुझको...
मीरा को मुक्त किया, किया गज को था तुमने...
अंसुवन की लाज रखी, पांचाली की तुमने...
नानी की नीर बहे, आना पडा तुमको...
दो बूंद आँसू के, कान्हा देना मुझको...
आँसू की भाषा को, आप समझ जाते...
भक्तों के आँसू को, देख चले आते...
'टीकम' के नयनों में, श्याम ज़रा देखो...
दो बूंद आँसू के, कान्हा देना मुझको...
दो बूंद आँसू के, कान्हा देना मुझको...
तेरे चरणों में अर्पण, है करना जो मुझको...
!! जय जय श्री श्यामसुन्दर जी !!
भजन : "श्री महाबीर सराफ जी"
बस जिस दिन ये प्रवाह चालू कर दे वो तो उसके बाद और क्या चाहिये………………भक्तिमय भावमयी प्रस्तुति।
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