हे! प्यारे गोविन्द... हे! प्यारे श्यामसुन्दर... बस अब तो एक भरोसा तेरा ही है... इस घोर कलयुग में तेरी यह सृष्टि पूर्ण रूप से त्रस्त हो रही है... क्यूँ न तुम इस कलयुग में पुनः अवतार धारण कर इस पृथ्वी के उद्धार हेतु आ जाते... निज भक्तो की करुण पुकार सुनने वाले भगवन, तुम स्वयं देख लो, अपने निज स्वार्थ की पूर्ति हेतु स्वयं मानव द्वारा ही उपेक्षित तुम्हारी यमुना, तुम्हारी गैयो का कितना बुरा हाल है... हे! गोविन्द, अब तो देर ना करो, अब तो आ जाओ पुनः अपनी यमुना के बीच पुनः अपनी गैयो के बीच...
ओ आजा कलयुग में भी लेके अवतार ओ गोविन्द...
अपने भक्तो की सुनले पुकार ओ गोविन्द...
यमुना का पानी तोसे करता सवाल है...
यमुना का पानी तोसे करता सवाल है...
तेरा बिना देख जरा कैसा बुरा हाल है...
काहे तुने छोड़ा संसार ओ गोविन्द...
अपने भक्तो की सुनले पुकार ओ गोविन्द...
निकला है सवा मण सोना जहाँ कूप से...
निकला है सवा मण सोना जहाँ कूप से...
गायें बिचारी मरे चारे बिना भूख से...
गैया को दिया दुत्कार ओ गोविन्द...
तेरे भक्तो की सुनले पुकार ओ गोविन्द...
घर घर में माखन की जगह अब शराब है...
घर घर में माखन की जगह अब शराब है...
कलयुग की गोपियाँ तो बहुत ही ख़राब है...
धरम तो बन गया व्यापार ओ गोविन्द...
अपने भक्तो की सुनले पुकार ओ गोविन्द...
अब किसी द्रौपदी की बचती न लाज रे...
अब किसी द्रौपदी की बचती न लाज रे...
बिगड़ा जमाना भये उलटे सब काज रे...
कंसो की बनी सरकार ओ गोविन्द...
अपन भक्तो की सुनले पुकार ओ गोविन्द...
ओ आजा कलयुग में भी लेके अवतार ओ गोविन्द...
ओ आजा कलयुग में भी लेके अवतार ओ गोविन्द...
अपने भक्तो की सुनले पुकार ओ गोविन्द...
ओ आजा कलयुग में भी लेके अवतार ओ गोविन्द...
अपने भक्तो की सुनले पुकार ओ गोविन्द...
ओ आजा कलयुग में भी लेके अवतार ओ गोविन्द...
अपने भक्तो की सुनले पुकार ओ गोविन्द...
सार्थक गुहार!
ReplyDeleteहम भी यही अर्चना करते हैं!
जी शास्त्री जी... और हमें विश्वास है, एक दिन स्वयं गोविन्द इस धरा पर "ज्ञानरूप" में जरुर पधारेंगे... एवं सम्पूर्ण विश्व को एक बार पुनः उबारेंगे...
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