!! ॐ !!


Thursday, December 23, 2010

!! तेरी नजर से दिल मेरा घायल है, मुझे मरहम लगाता क्यूँ नहीं..? !!


ओ प्यारे श्यामसुन्दर त्तेरी एक झलक को तरसता तेरा ये प्रेमी तुझसे कहता है क्या...



श्याम झलक अपनी दिखाता क्यूँ नहीं..?
ओ प्यारी सूरत दिखाता क्यूँ नहीं..?
ओ श्याम झलक अपनी दिखाता क्यूँ नहीं..?
ओ प्यारी सूरत दिखाता क्यूँ नहीं..?



मेरा दिल तो दीवाना हो गया...
मेरा दिल तो दीवाना हो गया...
ओ मेरा दिल तो दीवाना हो गया...
मुझे दिल से लगता क्यूँ नहीं..?



ओ श्याम झलक अपनी दिखाता क्यूँ नहीं..?
प्यारी सूरत दिखाता क्यूँ नहीं..?



सदियों से भटक रहा दर बदर...
सदियों से भटक रहा दर बदर...
ओ सदियों से भटक रहा दर बदर...
मुझे दर पर बुलाता क्यूँ नहीं..?



ओ श्याम झलक अपनी दिखाता क्यूँ नहीं..?
प्यारी सूरत दिखाता क्यूँ नहीं..?



तेरी नजर से दिल मेरा घायल है...
तेरी नजर से दिल मेरा घायल है...
ओ तेरी नजर से दिल मेरा घायल है...
मुझे मरहम लगाता क्यूँ नहीं..?



ओ श्याम झलक अपनी दिखाता क्यूँ नहीं..?
प्यारी सूरत दिखाता क्यूँ नहीं..?



तेरे प्यार का आधा पागल हूँ...
तेरे प्यार का आधा पागल हूँ...
ओ तेरे प्यार का आधा पागल हूँ...
पूरा पागल बनाता क्यूँ नहीं..?



श्याम झलक अपनी दिखाता क्यूँ नहीं..?
प्यारी सूरत दिखाता क्यूँ नहीं..?
ओ श्याम झलक अपनी दिखाता क्यूँ नहीं..?
प्यारी सूरत दिखाता क्यूँ नहीं..?

4 comments:

  1. जिस दिन पूरा पागल बना देगा समझो खुद को समझा देगा…………बहुत सुन्दर और भावभरा भक्ति गीत्।

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  2. बहुत खूब।
    ..श्याम के दर्शन तो तभी होंगे न जब हम पूरे पागल हो जांय।

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