श्याम झलक अपनी दिखाता क्यूँ नहीं..?
ओ प्यारी सूरत दिखाता क्यूँ नहीं..?
ओ श्याम झलक अपनी दिखाता क्यूँ नहीं..?
ओ प्यारी सूरत दिखाता क्यूँ नहीं..?
मेरा दिल तो दीवाना हो गया...
मेरा दिल तो दीवाना हो गया...
ओ मेरा दिल तो दीवाना हो गया...
मुझे दिल से लगता क्यूँ नहीं..?
ओ श्याम झलक अपनी दिखाता क्यूँ नहीं..?
प्यारी सूरत दिखाता क्यूँ नहीं..?
सदियों से भटक रहा दर बदर...
सदियों से भटक रहा दर बदर...
ओ सदियों से भटक रहा दर बदर...
मुझे दर पर बुलाता क्यूँ नहीं..?
ओ श्याम झलक अपनी दिखाता क्यूँ नहीं..?
प्यारी सूरत दिखाता क्यूँ नहीं..?
तेरी नजर से दिल मेरा घायल है...
तेरी नजर से दिल मेरा घायल है...
ओ तेरी नजर से दिल मेरा घायल है...
मुझे मरहम लगाता क्यूँ नहीं..?
ओ श्याम झलक अपनी दिखाता क्यूँ नहीं..?
प्यारी सूरत दिखाता क्यूँ नहीं..?
तेरे प्यार का आधा पागल हूँ...
तेरे प्यार का आधा पागल हूँ...
ओ तेरे प्यार का आधा पागल हूँ...
पूरा पागल बनाता क्यूँ नहीं..?
श्याम झलक अपनी दिखाता क्यूँ नहीं..?
प्यारी सूरत दिखाता क्यूँ नहीं..?
ओ श्याम झलक अपनी दिखाता क्यूँ नहीं..?
जिस दिन पूरा पागल बना देगा समझो खुद को समझा देगा…………बहुत सुन्दर और भावभरा भक्ति गीत्।
ReplyDeleteखूबसूरत प्रार्थना
ReplyDeleteबहुत खूब।
ReplyDelete..श्याम के दर्शन तो तभी होंगे न जब हम पूरे पागल हो जांय।
bhut sundar
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