हे! सम्पूर्ण जगत के पालनहार श्री श्यामसुन्दर तेरे इस जगत के तरह तरह के निराले रंग-ढंग देखकर मेरा हृदय बहुत ही हतप्रभ है, अत: व्यकुलतावश ये बार बार आपके श्री चरणों में यही प्रार्थना करता हैं कि...
जगत के रंग क्या देखूँ, तेरा दीदार काफी हैं...
जगत के रंग क्या देखूँ, तेरा दीदार काफी हैं...
करूँ मैं प्यार किस-किस से, तेरा एक प्यार काफी है...
करूँ मैं प्यार किस-किस से, तेरा एक प्यार काफी है...
हे गोविन्द! तेरा एक प्यार काफी है...
प्यारे! तेरा दीदार ही क्यों काफी है?
प्यारे! तेरा दीदार ही क्यों काफी है?
तुम्ही मेरी निगाहों की जुफ्तज़ु हो, तुम्ही मेरे खयालों का मुद्आ हो...
तुम्ही मेरे सनम हो, तुम्ही मेरे खुदा हो...
इसलिए,
जगत के रंग क्या देखूँ, तेरा दीदार काफी हैं...
हे गोविन्द! तेरा दीदार काफी हैं...
हे गोविन्द! तेरा एक प्यार काफी है...
नहीं चाहिये ये दुनिया के, निराले रंग ढंग मुझको...
इसलिए,
जगत के रंग क्या देखूँ, तेरा दीदार काफी हैं...
हे गोविन्द! तेरा दीदार काफी हैं...
हे गोविन्द! तेरा एक प्यार काफी है...
नहीं चाहिये ये दुनिया के, निराले रंग ढंग मुझको...
नहीं चाहिये ये दुनिया के, निराले रंग ढंग मुझको...
चला जाऊं मैं वृन्दावन, तेरा दरबार काफी हैं...
चला जाऊं मैं वृन्दावन, तेरा दरबार काफी हैं...
हे गोविन्द! तेरा दरबार काफी है...
करूँ मैं प्यार किस-किस से, तेरा एक प्यार काफी है...
करूँ मैं प्यार किस-किस से, तेरा एक प्यार काफी है...
हे गोविन्द! तेरा एक प्यार काफी है...
जगत के साजे बाजो से, हुए है कान अब बहरे...
जगत के साजे बाजो से, हुए है कान अब बहरे...
जगत के साजे बाजो से, हुए है कान अब बहरे...
कहाँ जाके सुनु अनहद, तेरी झंकार काफी हैं...
कहाँ जाके सुनु अनहद, तेरी झंकार काफी हैं...
हे गोविन्द! तेरी झंकार काफी हैं...
करूँ मैं प्यार किस-किस से, तेरा एक प्यार काफी है...
करूँ मैं प्यार किस-किस से, तेरा एक प्यार काफी है...
हे गोविन्द! तेरा एक प्यार काफी है...
जगत के रिश्तेदारों ने, बिछाया जाल माया का...
जगत के रिश्तेदारों ने, बिछाया जाल माया का...
जगत के रिश्तेदारों ने, बिछाया जाल माया का...
तेरे भक्तो से हो प्रीति, तेरा परिवार काफी है...
तेरे भक्तो से हो प्रीति, तेरा परिवार काफी है...
हे गोविन्द! तेरा परिवार काफी है...
करूँ मैं प्यार किस-किस से, तेरा एक प्यार काफी है...
करूँ मैं प्यार किस-किस से, तेरा एक प्यार काफी है...
हे गोविन्द! तेरा एक प्यार काफी है...
जगत की झूठी रोशनी से, है आँखे भर गयी मेरी...
जगत की झूठी रोशनी से, है आँखे भर गयी मेरी...
जगत की झूठी रोशनी से, है आँखे भर गयी मेरी...
मेरी आँखों में हो हरदम, तेरा चमकार काफी है...
मेरी आँखों में हो हरदम, तेरा चमकार काफी है...
हे गोविन्द! तेरा चमकार काफी है...
प्यारे ! तेरा चमकार क्यूँ काफी हैं...?
सौ चाँद भी चमकेंगे तो क्या बात बनेगी...
प्यारे ! तेरा चमकार क्यूँ काफी हैं...?
सौ चाँद भी चमकेंगे तो क्या बात बनेगी...
तुम आओगे इस दिन की तो क्या बात बनेगी...
इसलिए,
मेरी आँखों में हो हरदम, तेरा चमकार काफी है...
इसलिए,
मेरी आँखों में हो हरदम, तेरा चमकार काफी है...
हे गोविन्द! तेरा चमकार काफी है...
हे गोविन्द! तेरा एक प्यार काफी है...
जगत के रंग क्या देखूँ, तेरा दीदार काफी हैं...
जगत के रंग क्या देखूँ, तेरा दीदार काफी हैं...
जगत के रंग क्या देखूँ, तेरा दीदार काफी हैं...
करूँ मैं प्यार किस-किस से, तेरा एक प्यार काफी है...
करूँ मैं प्यार किस-किस से, तेरा एक प्यार काफी है...
हे गोविन्द! तेरा एक प्यार काफी है...
करूँ मैं प्यार किस-किस से, तेरा एक प्यार काफी है...
करूँ मैं प्यार किस-किस से, तेरा एक प्यार काफी है...
करूँ मैं प्यार किस-किस से, तेरा एक प्यार काफी है...
हे गोविन्द! तेरा एक प्यार काफी है...
हे! मुरलीधरा, मनमोहना.......हे! नंदनंदना हे राधामाधवा.....
हे! मुरलीधरा, मनमोहना.......हे! नंदनंदना हे राधामाधवा.....
हे! मुरलीधरा, मनमोहना.......हे! नंदनंदना हे राधामाधवा.....
श्री भगवान् के प्रति, श्री विनोद जी अग्रवाल द्वारा गाये गए इस अतिसुन्दर भाव को आप सभी इस लिंक पर क्लिक कर सुन सकते है...
श्री भगवान् के प्रति, श्री विनोद जी अग्रवाल द्वारा गाये गए इस अतिसुन्दर भाव को आप सभी इस लिंक पर क्लिक कर सुन सकते है...
!! जय जय श्री श्यामसुन्दर जी !!
!! जय जय श्री श्यामसुन्दर जी !!
!! जय जय श्री श्यामसुन्दर जी !!
बहुत सुन्दर भजन्।
ReplyDeleteआज एक रचना मैने भी लगाई है फ़ुर्सत मिले तो इस ब्लोग पर देखियेगा।
http://ekprayas-vandana.blogspot.com