ओ प्यारे श्यामसुन्दर...
दुनियाँ तेरी कहती है, हम तो फ़कीर हैं...
रहते हम तो मस्ती में, तेरे करीब हैं...
दुनियाँ तेरी कहती है, हम तो फ़कीर हैं...
हम न होते फ़कीर गर, तू कैसे दातार...
तुम तो मालिक हो मेरे, मैं हूँ ताबेदार...
बगिया रहती हरी भरी, मेरे नसीब है...
दुनियाँ तेरी कहती है, हम तो फ़कीर हैं...
दर तेरे हम आते हैं, मिलता तेरा दीदार...
परवाह नहीं किसी की, तुमसा पा करतार...
दानी तुमसा मिल गया, मेरे नसीब है...
दुनियाँ तेरी कहती है, हम तो फ़कीर हैं...
रखना अपनी तुम महर, तेरा हूँ कर्ज़दार...
कर्जा चुका न पाउँगा, तेरा मैं सरकार...
'टीकम' खुशनसीब मैं, रहना फ़कीर है...
दुनियाँ तेरी कहती है, हम तो फ़कीर हैं...
!! श्री श्यामसुन्दर जी की सैदव जय हो !!
!! श्री श्याम बाबा जी की सैदव जय हो !!
प्रस्तुति : "श्री महाबीर जी सराफ"
बहुत सुन्दर रचना!
ReplyDeleteवाह वाह! बस उसके फ़कीर बने रहें और उसका हाथ सिर पर बना रहे फिर और क्या चाहिये……………बेहद खूबसूरत रचना।
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