आहा!!! कितना अनुपम और मनोहारी दृश्य है... वृन्दावन का यमुना तट है... निकुंज में सांवरा श्यामसुन्दर अपनी मधुर बांसुरी को अपने अधरों पे लगा बजाने लगते है... मानो वो श्री राधे को बुला रहे है, और उनकी बांसुरी की मधुर तान सुन श्री राधे दीवानी बन सांवरे के समीप खिची चली आती है, नृत्य करने लगती है...और सांवरा श्यामसुन्दर भी अपनी मुरली को छोड़ श्री राधे के साथ घुमर घाल नृत्य करने लगते है...
आइये, इस मनोहारी छवि के माध्यम से इस भाव का रसास्वादन करे...
मीठी मीठी मेरे सांवरे की मुरली बाजे, हाँ! मुरली बाजे...
होकर श्याम की दीवानी राधा रानी नाचे, ओ राधा रानी नाचे...
मीठी मीठी मेरे सांवरे की मुरली बाजे, हाँ! मुरली बाजे...
होकर श्याम की दीवानी राधा रानी नाचे, ओ राधा रानी नाचे...
संवारो सलोनो मेरो बांसुरी बजावे...
यमुना किनारे देखो रास रचावे...
पकड़ी राधे जी की बैया, देखो घुमर घाले... हाँ! घुमर घाले...
होकर श्याम की दीवानी राधा रानी नाचे, ओ राधा रानी नाचे...
मीठी मीठी मेरे सांवरे की मुरली बाजे, हाँ! मुरली बाजे...
होकर श्याम की दीवानी राधा रानी नाचे, ओ राधा रानी नाचे...
छम छम बाजे देखो राधे की पैजनिया...
नाचे रे सांवरो मेरो छोड़ के मुरलिया...
राधे संग में नैन लड़ावे, नाचे सागे सागे, हाँ! सागे सागे...
होकर श्याम की दीवानी राधा रानी नाचे, ओ राधा रानी नाचे...
मीठी मीठी मेरे सांवरे की मुरली बाजे, हाँ! मुरली बाजे...
होकर श्याम की दीवानी राधा रानी नाचे, ओ राधा रानी नाचे...
प्यारी प्यारी लागे देखो, जोड़ी राधेश्याम की...
शान है या जान है, या देखो सारे गाँव की...
राधे, सांवरे की छवि ने हिवड़े माहि राखे, हाँ! हिवड़े माहि रखे...
होकर श्याम की दीवानी राधा रानी नाचे, ओ राधा रानी नाचे...
मीठी मीठी मेरे सांवरे की मुरली बाजे, हाँ! मुरली बाजे...
होकर श्याम की दीवानी राधा रानी नाचे, ओ राधा रानी नाचे...
बाजे रे मुरलिया देखो, बाजे रे पैजनिया...
भगता ने बना ले तेरे गाँव कि गुजरिया...
कर दे 'बनवारी' यो काम, तेरो कांई लागे, हाँ! कांई लागे...
होकर श्याम की दीवानी राधा रानी नाचे, ओ राधा रानी नाचे...
मीठी मीठी मेरे सांवरे की मुरली बाजे, हाँ! मुरली बाजे...
होकर श्याम की दीवानी राधा रानी नाचे, ओ राधा रानी नाचे...
मीठी मीठी मेरे सांवरे की मुरली बाजे, हाँ! मुरली बाजे...
होकर श्याम की दीवानी राधा रानी नाचे, ओ राधा रानी नाचे...
!! जय जय श्री राधा रानी जी !!
!! जय जय श्री श्याम सुन्दर जी !!
भाव के रचियता : "श्री जयशंकर जी"
आह!
ReplyDeleteकाश बना लेता वो अपनी गुजरिया
पहना देता अपने प्रेम की चुनरिया
प्रेम रस मे हमे भी नहला देता
थोडा सा प्यार हम पर भी लुटा देता
तो सांवरे तेरा क्या जाता।
राधा जी कृष्ण की प्राण मन की पहचान---।
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