!! म्हारा कमलनयन केशव जी !!
कमलनयन केशव सुनो, म्हारे दिल री बात...
मैं अति दीन अनाथ हूँ, आप हो नाथ सनाथ...
दाता आप रे द्वार पर, आ गयो दीन अनाथ...
सुननी पड़सी केशव तन्ने, इस दर्दी की बात...
यादां करता आपकी, दुखन लाग्या नैन..
गद् वाणी म्हारी हुई गई, निकसे नाहि वैन...
म्हाने तो बस चाहिये, थारे चरणा री धुर...
थारी भक्ति प्रेम सु, मन होवे भरपूर...
पाप स म्हाने बचाईज्यो, करके दया दयाल...
अपणों भगत बनाईज्यो, म्हाने करो निहाल...
हाथ जोड़ विनती करू, सुनज्यो कृपानिधान...
साध संगत सुख दीज्यो, दया नम्रता दान...
कमलनयन केशव सुनो,म्हारे दिल री बात...
मैं अति दीन अनाथ हूँ, आप हो नाथ सनाथ...
!! थारी जय जय हो श्री कमलनयन केशव !!
बहुत ही भावप्रवण विनती ………………जरूर सुनेगा और सुननी पडेगी।
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